वीआईपी की वजह से देरी से उड़ी फ्लाइट के कैप्टन की कहानी, गवाहों की जुबानी...

नई दिल्ली:

उसने मंत्री जी को सिर्फ इतना बताया था कि उसका पहला कर्तव्य यात्रियों के प्रति है, लेकिन सामने खड़े राजनीतिज्ञ ने शिकायत कर डाली कि वह 'बदतमीज़' है। यह एयर इंडिया के उस कैप्टन की कहानी है, जिसे अपने यात्रियों की तरफ से बोलने के लिए 'वीआईपी ताकत' का सामना करना पड़ा।

क्या केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू तथा जम्मू एवं कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह की वजह से देर से उड़ी एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 446 के कैप्टन रोहन सहारन को 'बलि का बकरा' बनाया जा रहा है? NDTV के पास मौजूद एक्सक्लूसिव जानकारी की बदौलत भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित लेह एयरपोर्ट पर हुए पूरे ड्रामे का खुलासा होता है, जो कैप्टन सहारन के लिए 'बुरे सपने' जैसा था।

24 जून की सुबह जब कैप्टन रोहन सहारन लेह पहुंचे तो उन्हें 'नोटिस टु एयरमेन ऑर्डर' (NOTEM) दिया गया, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि एयरपोर्ट का रनवे 11 बजे प्रातः तक रीसरफेस (उसे उड़ान के लिए दोबारा तैयार) किया जाना है, अतः प्रातः 10:35 बजे के बाद कोई उड़ान नहीं जा सकती। उन्हें पता चला कि उन्हें पूरी फ्लाइट को उड़ाकर वापस ले जाना होगा, जबकि एयरपोर्ट पर पहले से ही हंगामे के आसार थे, क्योंकि कन्फर्म्ड टिकटों के साथ मौजूद तीन यात्रियों को तब तक भी बोर्डिंग पास जारी नहीं किए जा रहे थे।

सूत्रों के अनुसार, उन्होंने स्थानीय अधिकारियों के साथ बात की, ताकि इन तीन यात्रियों - एक भारतीय विदेश सेवा अधिकारी तथा उनका परिवार - को उनके बोर्डिंग पास दे दिए जाएं। इसके बाद उन्हें सूचना स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों द्वारा सूचना दी गई कि उन्हें इसी उड़ान में 'तीन वीआईपी' को भी लेकर जाना होगा।

अब तक, कैप्टन सहारन काफी चिंतित होने लगे थे। एक सूत्र के मुताबिक, मौसम तब तक 'मार्जिनल' हो चुका था। सादा शब्दों में कहें तो इसका अर्थ था कि मौसम गर्म होने लगा था, और अगर यह थोड़ा भी और गर्म होता, तो कैप्टन को विमान को हल्का करने के लिए सामान और यात्रियों तक को उतार देना पड़ता। चश्मदीद गवाहों के मुताबिक, अब तक वे तीन यात्री, जिन्हें आखिरकार बोर्डिंग पास दिए जा चुके थे, टरमैक पर विमान की ओर जाने वाली बस में बैठे हुए थे। वे एक घंटे तक वहां बैठे रहे, लेकिन उन्हें विमान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई। अन्य यात्री, जो विमान के उड़ान न भरने की वजह से गुस्से में थे, एयरलाइन को कोसना शुरू कर चुके थे।

आखिरकार, कैप्टन सहारन को लोड तथा साइन करने के लिए ट्रिम शीट दे दी गई - यह वह आखिरी दस्तावेज़ है, जिस पर पायलट को उड़ान भरने से पहले दस्तखत करने होते हैं - और उन्होंने दरवाज़े बंद करने का आदेश दे दिया। उनकी पूरी कोशिशों के बावजूद वे तीन यात्री टरमैक पर बस में ही बैठे थे, जिन्हें स्थानीय अधिकारियों ने विमान में नहीं चढ़ने दिया। विमान के दरवाज़े बंद होने के बाद वीआईपी पहुंचे, और दबाव में कैप्टन को उनके लिए विमान के दरवाज़े खोलने पड़े।

इस समय तक विमान में बैठे यात्रियों का गुस्सा और बढ़ चुका था, और उन्होंने 'देरी का कारण' बने वीआईपी लोगों को हूट करना शुरू कर दिया। कैप्टन सहारन ने टरमैक पर तब भी बस में बैठे तीन यात्रियों की ओर इशारा करते हुए दोनों राजनेताओं से कहा, "हम आप लोगों की वजह से डेढ़ घंटे से भी ज़्यादा लेट हो चुके हैं... और बस में बैठे उन तीन लोगों की तरफ देखिए, जो आपकी वजह से यह फ्लाइट नहीं पकड़ पाए..." सूत्रों के अनुसार, इस वक्त केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं कि उनकी वजह से विमान को देरी हुई, लेकिन निर्मल सिंह और कैप्टन के बीच तेज बहस हो गई। बताया गया है कि निर्मल सिंह ने कहा, "विमान से किसे उतारा जाता है, यह मेरी नहीं, एयरलाइन की समस्या है..."

उसके बाद निर्मल सिंह अपनी आधिकारिक शिकायत में कैप्टन सहारन को 'बदतमीज़' कह चुके हैं। वह और किरण रिजिजू इस बात से इनकार कर चुके हैं कि उनके कारण विमान को देरी हुई, क्योंकि उनका दावा है कि उड़ान का वक्त बिना किसी नोटिस के बदलकर पहले का कर दिया गया था।

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सूत्रों का कहना है कि अब पायलट इस बात को लेकर चिंतित है कि उन्हें सिर्फ अपना काम करने के लिए दंडित किया जा सकता है। उन्होंने मंत्रियों से सिर्फ इतना कहा था कि "मेरा कर्तव्य मेरे यात्रियों के प्रति है..."