किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट मामले में खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा है कि दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट बनाई और दूसरों के साथ शेयर किया. टूलकिट केस में दिल्ली पुलिस साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने कहा, 'जैसा कि हम जानते हैं कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने हिसा हुई. 27 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा था. 4 फरवरी को हमें टूलकिट के बारे में जानकारी मिली जो कि खलिस्तानी सगठनों की मदद से बनाया था.' पुलिस के अनुसार, दिशा ने यह डॉक्यूमेंट क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के साथ शेयर किए थे.
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उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को निकिता के खिलाफ सर्च वारंट जारी हुआ जबकि 11 फरवरी को निकिता के यहां सर्च हुआ. इस दौरान हमें काफी सारे संवेदनशील सबूत मिले. निकिता से लिखित में लिया गया कि वो 12 फरवरी को मौजूद रहेगी.11 जनवरी को जो ज़ूम मीटिंग हुई जिसमें खालिस्तानी ग्रुप कनाडियन महिला पुनीत के जरिये दिशा, निकिता, शांतनु और दूसरे लोगों को जोड़ा गया. टूलकिट में जैसा एक्शन प्लान था वैसा ही किया गया. मुंबई पुलिस और बेंगलुरु पुलिस को जानकारी देकर सही तरीके से पूरा प्रोसीजर फॉलो किया गया. एक वोट्स ग्रुप से ये लोग जुड़े थे जो 6 दिसंबर को बनाया गया. दिशा ने टूलकिट ग्रेटा को टेलीग्राम से भेजा.
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दिल्ली पुलिस के अनुसार, दिशा के मोबाइल से काफी सबूत मिले हैं लेकिन काफी डेटा डिलीट भी मिली. शांतनु और दिशा एक्सआर नाम के एनजीओ से जुड़े हैं. पीटर फेडरिक ने ये प्लान किया कि किसे हैशटैग करना है, किसे फॉलो करना है और कब क्या ट्वीट कराना है. 2005 से हम इन्हें जानते हैं. टूलकिट एक ऐसा डॉक्यूमेंट था,जो कुछ लोगों के बीच शेयर होना था लेकिन ग्रेटा ने गलती से ये ट्वीट कर दिया. पुलिस के अनुसार, scrapfarmersact@gmail.com का एडमिन शांतनु था.
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