कोलकाता:
तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के लिए 228 विधानसभा क्षेत्रों पर एकतरफा तौर पर अपने प्रत्याशियों की सूची घोषित कर दी। पार्टी ने 64 सीटें कांग्रेस के लिए और दो सीटें सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया :एससयूसीआई: के लिए छोड़ दी हैं। ममता ने एक संवाददाता सम्मेलन में प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए कहा, सीटों के बंटवारे के बाद कांग्रेस अगर 64 विधानसभा क्षेत्रों पर अपने प्रत्याशी खड़े करती है, तो हमें खुशी होगी। नहीं तो, हम हमारे प्रत्याशियों को वहां खड़ा करेंगे, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य भी शामिल होंगे। ममता ने कहा कि उनकी गुरुवार रात कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत हुई थी, जिसके बाद ही उन्होंने प्रत्याशियों की सूची जारी की है और आज वही कहा गया है, जिस बारे में कल रात की बैठक में सहमति बनी थी। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर लग रहे समय के बारे में उन्होंने कहा, अब समय नहीं बचा था। हमें हलफनामों और दूसरी औपचारिकताओं को भी पूरा करना था। हमें सुनिश्चित करना था कि दूरदराज के इलाकों में मौजूद हमारे प्रत्याशियों के पास तक नामांकन पत्र पहुंच जाएं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उन्होंने बहुत समय तक इंतजार किया और अब अंतत: प्रत्याशियों की सूची घोषित कर दी। दोनों पार्टियों के बीच इसके पहले दिल्ली और कोलकाता में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर कई बार बातचीत हुई थी। तृणमूल कांग्रेस की सहयोगी एसयूसीआई को दो सीटें दी गई हैं। तृणमूल के प्रत्याशियों की सूची में समाज के विभिन्न समुदायों के सदस्यों को जगह दी गई है। सूची में पूर्व मुख्य सचिव मनीष गुप्ता, फिक्की के महासचिव अमित मित्रा और पूर्व पुलिस अधिकारियों रचपाल सिंह और सुल्तान सिंह का नाम भी शामिल है। इस सूची में फिल्म अभिनेता चिरंजीत, देवश्री रॉय, गायक अनूप घोषाल और थिएटर कलाकार ब्रत्या बसु का नाम भी है। तृणमूल कांग्रेस ने कंप्यूटर ग्राफिक्स शिक्षक रिजवानुर रहमान के भाई रुक्बानुर रहमान को भी टिकट दिया है। रिजवानुर ने एक हिंदू उद्योगपति की बेटी से शादी की थी, जिसके बाद उसकी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। तृणमूल प्रमुख ने दावा किया, हमने जंगलमहल क्षेत्र में भी अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं, जहां माकपा अपने प्रत्याशी खड़े करने की हिम्मत नहीं कर सकी। हमने सुना है कि माकपा के 153 प्रत्याशी वहां से लड़ने के इच्छुक नहीं हैं और कइयों ने पार्टी के फैसले का विरोध भी किया है।