New Delhi:
जैविक संतान होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति के पितृत्व मामले में फंसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने व्यक्तिगत हलफनामा दायर किया। तिवारी ने इस हलफनामे में कहा कि किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विपरीत डीएनए परीक्षण के लिए खून का नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपने हलफनामे में कहा, अपनी इस उम्र और इस देश को करीब 70 साल की बेदाग सार्वजनिक छवि पर, मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर विश्वास करता हूं और डीएनए परीक्षण के लिए किसी मजबूरी के खिलाफ सुरक्षित महसूस करता हूं। तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए डीएनए परीक्षण के लिए खून के नमूने नहीं देने के अपने कदम को सही ठहराया। न्यायमूर्ति गीता मित्तल गुरुवार दोपहर दो बजे रोहित शेखर की याचिका पर सुनवाई कर सकती हैं। रोहित ने तिवारी द्वारा अदालत के खून के नमूने देने के आदेश का पालन नहीं करने पर इस कांग्रेसी नेता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
दिल्ली हाईकोर्ट, एनडी तिवारी, पितृत्व परीक्षण, डीएनए टेस्ट