
संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session of Parliament) जारी है. कृषि व अन्य विधेयकों को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और सभी दल सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं. विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही के बॉयकॉट के बावजूद राज्यसभा (Rajya Sabha) में आज (बुधवार) तीन लेबर कोड बिलों (Labour Code Bills) को पारित कर दिया गया है. इन तीनों बिलों को कल लोकसभा में पारित किया गया था. आज यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गए. अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएंगे. सरकार का दावा है कि यह बिल श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे. हालांकि कई श्रमिक संगठन और कांग्रेस पार्टी इनका विरोध भी कर रही है.
संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी. राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया.
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श्रम मंत्री संतोष गंगवार (Santosh Gangwar) ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा, ‘‘श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है.'' उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है. गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं.
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उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे. सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है. राज्यसभा में बुधवार को पारित हुए विधेयक संहिताएं- ‘उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता 2020', ‘औद्योगिक संबंध संहिता 2020' और ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020' हैं. इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किए गए हैं.
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बता दें कि राज्यसभा की कार्यवाही में आज सात विधेयकों को लाए जाने का फैसला किया गया, जिसमें 3 लेबर कोड बिल के अलावा विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक 2020, क्वालिफाइड फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स बिल 2020 और जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल शामिल थे. वहीं, विपक्ष ने सदन के बहिष्कार का फैसला किया. विपक्ष ने अपनी तीन मांगों के साथ यह ऐलान किया है कि वह तब तक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होंगे, जब तक उनकी इन मांगों को नहीं मान लिया जाता. (इनपुट भाषा से भी)
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