भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ़ कर दिया कि निर्भया मामले में किसी भी तरह की भावनात्मक बहस नहीं होगी। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की तरफ से जब भावनात्मक बहस की शुरुआत की गई तब कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील को रोका और कहा इस मामले में किसी तरह की भावनात्मक बहस नहीं होगी अगर आपको करना है तो कानूनी करें।
वहीं सुनवाई के अंत में वकील हिमांशु शेखर झा ने खुद को इस मामले में पक्ष बनाने की मांग की। उन्होंने कोर्ट में मौखिक तौर पर कहा कि उनको इस मामले मामले में कुछ कानूनी पहलुओं पर बहस करने की इजाजत दी जाये। तब कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा, आप कौन हैं हम आपको क्यों सुनें। फिर कोर्ट ने कहा, हम यहां किसी का उपदेश सुनने के लिए नहीं बैठे हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने पक्ष बनाने की मांग ख़ारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने इन चारों को फांसी की सज़ा सुनाई है जिसपर कोर्ट ने फ़िलहाल रोक लगा रही है।
वहीं सुनवाई के अंत में वकील हिमांशु शेखर झा ने खुद को इस मामले में पक्ष बनाने की मांग की। उन्होंने कोर्ट में मौखिक तौर पर कहा कि उनको इस मामले मामले में कुछ कानूनी पहलुओं पर बहस करने की इजाजत दी जाये। तब कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा, आप कौन हैं हम आपको क्यों सुनें। फिर कोर्ट ने कहा, हम यहां किसी का उपदेश सुनने के लिए नहीं बैठे हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने पक्ष बनाने की मांग ख़ारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने इन चारों को फांसी की सज़ा सुनाई है जिसपर कोर्ट ने फ़िलहाल रोक लगा रही है।
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