मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ अमिताभ बच्चन, रतन टाटा और अन्य उद्यमी.
मुंबई:
जन्माष्टमी के मौके पर महाराष्ट्र के एक हजार गांवों का चेहरा बदलने की विशेष योजना का ऐलान हुआ है. इस कोशिश में बिग बी के साथ कई बड़े नाम शामिल हुए हैं. उद्योग जगत के सभी बड़े घराने जैसे टाटा, बिड़ला, अम्बानी, महिंद्रा महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर राज्य की योजनाओं को आम आदमी तक पहुंचाने में मदद करेंगे.
राज्य के प्रशासनिक मुख्यालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में एक गवर्निंग काउंसिल की स्थापना की गई. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसके मुखिया होंगे. उन्होंने बैठक के बाद मीडिया कर्मियों को बताया कि यह देश की ऐसी पहली कोशिश है जिसमें उद्योग जगत और सरकार इतने बड़े पैमाने पर एक साथ आकर सरकारी योजनाओं के सफल आयोजन के लिए एक साथ कोशिश करने वाले हैं.
सरकार की इस पहल को सीएसआर के तहत किया गया प्रयास माना जा रहा है. इसमें, दो साल में राज्य सरकार एक हजार गांवों में शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, दूरसंचार आदि का लाभ पहुंचाएगी. इनमें से 250 गांव आदिवासी क्षेत्र के होंगे. उद्योग जगत और सरकार योजना का आधा-आधा व्यय वहन करेंगे. कंपनियां अपनी क्षमताओं का लाभ योजना में देंगी. जैसे बिड़ला ग्रुप ने 300 गांवों का जिम्मा लेने का फैसला किया है. अम्बानी परिवार ने एडीएजी से चुने गए गांवों में डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा है. बताया जाता है कि गांव पर अभियान में जुड़ने के लिए न तो दबाव होगा न ही अनचाही योजनाएं उन पर थोपी जाएंगी.
इसी के साथ फिल्म जगत के कई चहरे इस अभियान से जुड़ने जा रहे हैं. अमिताभ बच्चन इस अभियान का चेहरा होंगे. सरकारी बैठक में शरीक होने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अपनी आवाज के जरिए वे इस अभियान के प्रचार-प्रसार का काम करेंगे.
इस मौके पर उद्योगपति आनंद महिंद्र और रतन टाटा ने भी मीडिया को संबोधित किया. आनंद महिंद्र ने कहा कि उनकी तरफ से पैसे और क्षमताओं के साथ इस अभियान को सम्पूर्ण समर्थन मिलेगा. इस दौरान रतन टाटा ने कहा कि टाटा ट्रस्ट इस मुहिम से जुड़ने में खुशी जाहिर करता है. औद्योगिकीकरण के बढ़ाते प्रभाव के आगे हमें ऐसे बदलाव के लिए कोशिश करनी होगी. इससे महाराष्ट्र का चेहरा बदलेगा.
राज्य सरकार ने 2 अक्तूबर तक 100 गांवों में योजना शुरू करने का लक्ष्य रखा है. हर तीन महीने पर मुख्यमंत्री खुद इस अभियान का रिव्यू करेंगे. इसके जरिए सरकार ग्रामीण विकास की तमाम योजनाओं का बेहतर समन्वय चाहती है. उम्मीद है कि यह समन्वय स्थापित हो. वर्ना यह पहल महज एक इवेंट बनकर रह जाएगी.
राज्य के प्रशासनिक मुख्यालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में एक गवर्निंग काउंसिल की स्थापना की गई. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसके मुखिया होंगे. उन्होंने बैठक के बाद मीडिया कर्मियों को बताया कि यह देश की ऐसी पहली कोशिश है जिसमें उद्योग जगत और सरकार इतने बड़े पैमाने पर एक साथ आकर सरकारी योजनाओं के सफल आयोजन के लिए एक साथ कोशिश करने वाले हैं.
सरकार की इस पहल को सीएसआर के तहत किया गया प्रयास माना जा रहा है. इसमें, दो साल में राज्य सरकार एक हजार गांवों में शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, दूरसंचार आदि का लाभ पहुंचाएगी. इनमें से 250 गांव आदिवासी क्षेत्र के होंगे. उद्योग जगत और सरकार योजना का आधा-आधा व्यय वहन करेंगे. कंपनियां अपनी क्षमताओं का लाभ योजना में देंगी. जैसे बिड़ला ग्रुप ने 300 गांवों का जिम्मा लेने का फैसला किया है. अम्बानी परिवार ने एडीएजी से चुने गए गांवों में डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा है. बताया जाता है कि गांव पर अभियान में जुड़ने के लिए न तो दबाव होगा न ही अनचाही योजनाएं उन पर थोपी जाएंगी.
इसी के साथ फिल्म जगत के कई चहरे इस अभियान से जुड़ने जा रहे हैं. अमिताभ बच्चन इस अभियान का चेहरा होंगे. सरकारी बैठक में शरीक होने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अपनी आवाज के जरिए वे इस अभियान के प्रचार-प्रसार का काम करेंगे.
इस मौके पर उद्योगपति आनंद महिंद्र और रतन टाटा ने भी मीडिया को संबोधित किया. आनंद महिंद्र ने कहा कि उनकी तरफ से पैसे और क्षमताओं के साथ इस अभियान को सम्पूर्ण समर्थन मिलेगा. इस दौरान रतन टाटा ने कहा कि टाटा ट्रस्ट इस मुहिम से जुड़ने में खुशी जाहिर करता है. औद्योगिकीकरण के बढ़ाते प्रभाव के आगे हमें ऐसे बदलाव के लिए कोशिश करनी होगी. इससे महाराष्ट्र का चेहरा बदलेगा.
राज्य सरकार ने 2 अक्तूबर तक 100 गांवों में योजना शुरू करने का लक्ष्य रखा है. हर तीन महीने पर मुख्यमंत्री खुद इस अभियान का रिव्यू करेंगे. इसके जरिए सरकार ग्रामीण विकास की तमाम योजनाओं का बेहतर समन्वय चाहती है. उम्मीद है कि यह समन्वय स्थापित हो. वर्ना यह पहल महज एक इवेंट बनकर रह जाएगी.
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