हरिद्वार (Haridwar) में कुंभ मेला 2021 (Kumbh Mela 2021) का पहला शाही स्नान गुरुवार को महाशिवरात्रि के मौके पर होगा. शाही स्नान का मतलब होता है कि इस दिन साधुओं के अखाड़े स्नान करते हैं. अखाड़ों के साधु सुबह 9:00 बजे से अपने शिविरों से निकलना शुरू करेंगे और 11 बजे के करीब स्नान शुरू होगा. अखाड़ों का स्नान हर की पौड़ी पर ब्रह्म कुंड में होगा क्योंकि मान्यता है कि अमृत की बूंदें यहीं छलकी थीं. ध्यान रखने वाली बात यह है कि गुरुवार को महाशिवरात्रि के मौके पर आम लोग हर की पौड़ी पर स्नान नहीं कर सकेंगे.
मेला प्रशासन ने सुबह 8:00 बजे से लेकर रात के 8:00 बजे तक आम लोगों के हर की पौड़ी पर स्नान को प्रतिबंधित किया है. हालांकि बाकी घाटों पर आम लोग स्नान कर सकेंगे. बाकी घाट भी करीब 9 किलोमीटर लंबे हैं जिन पर स्नान किया जा सकता है. यही नहीं आम लोग सुबह 8:00 बजे से पहले हर की पौड़ी पर स्नान कर सकते हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत ने बुधवार को अपने कार्यालय में पहली बैठक की. उन्होंने अधिकारियों को हरिद्वार कुम्भ के प्रबंधन पर दिशा निर्देश दिए. गुरुवार को शिवरात्रि पर अखाड़ों के संतों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी. कुम्भ में आने वालों को परेशान न किए जाने का भी आदेश दिया गया है.
महाशिवरात्रि का महत्व | शिवरात्रि पर लोग उपवास क्यों करते हैं
इन दिनों हम सभी अपने पसंदीदा मौसम वसंत का मजा लें रहे हैं जिनमें दिन लंबे और सुखद भरे हो जाते हैं. भारत में वसंत का मौसम त्योहारों से भरा होता है, महाशिरात्रि उन्हीं में से एक है. महाशिवरात्रि जिसका मतलब है 'शिव की महान रात', हिंदुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन भगवान शिव के भक्त शिवरात्रि का व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ अपने ईष्ट से प्रार्थना करते हैं. इस मंदिरों में खूब सजावट की जाती है और सारा दिन भजन कीर्तन का शिवरात्रि भारत के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है. शिवरात्रि के साथ बहुत ही बाते हैं, कुछ लोग कहते हैं कि यह एक वह रात है जब शिव ने सृष्टि, संरक्षण और विनाश का स्वर्गीय नृत्य किया, जबकि कुछ लोगों का कहना कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से इस शुभ अवसर पर शादी की थी. शिवरात्रि ध्यान और आध्यात्मिकता की शक्ति पर केंद्रित है. कई लोग इस दिन उपवास भी करते हैं ताकि वे अपनी भक्ति और ध्यान केंद्रित कर सकें. जबकि कुछ सिर्फ फलों और दूध का सेवन करते हैं, ऐसे लोग भी हैं जो 'निर्जला' व्रत का पालन करते हैं- जिसमें वे एक बूंद भी पानी का सेवन नहीं करते हैं जब तक कि वे अपना व्रत नहीं खोलते. यहां तक कि जो लोग उपवास नहीं कर रहे हैं, वे हल्के शाकाहारी, या सात्विक भोजन का सेवन करते हैं जैसे आलू की सब्जी, कुट्टू की पूरी, पकौड़े और खीर. इतना ही नहीं लोग इस दिन भोजन बनाने में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं .
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