नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के खतरे के साये में अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई। रियासत के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कड़ी सुरक्षा के बीच 1282 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को रवाना किया। पहली बार जम्मू शहर की हवाई सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। पूरी यात्रा में कम से कम एक लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
श्रद्धालुओं के पहले जत्थे में 990 पुरूष, 225 महिलाएं, 13 बच्चे और 144 साधु हैं। सीआरपीएफ के जवान जम्मू बेस कैंप से 33 वाहनों में सवार श्रद्धालुओं के काफिले को लेकर निकले। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए यात्री ‘बम-बम भोले’ के जयकारे करते हुए पहलगाम और बालटाल के लिए रवाना हुए। वहां से शनिवार को वे 3888 मीटर ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के लिए रवाना होंगे।
सभी रास्तों पर सीआरपीएफ़
हज़ारों की तादाद में श्रद्धालु जम्मू, पहलगाम और बालटाल पहुंच रहे हैं। यात्रा में किसी तरह की रुकावट न पड़े इसके मद्देनज़र सभी रास्तों पर सीआरपीएफ़ और जम्मू कश्मीर पुलिस की अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है। हाल के दिनों में आतंकी घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
जम्मू कश्मीर के दौरे पर राजनाथ सिंह
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह आज (शुक्रवार) से दो दिनों के जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। उन्होंने अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और सूबे में सुरक्षा के हालात की समीक्षा की। उन्होंने सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और पुलिस, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल बैठक कर हाल की आतंकी घटनाओं की समीक्षा की।
गौरतलब है कि अमरनाथ गुफा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता श्रीनगर से करीब 100 किलोमीटर दूर पहलगाम से है और दूसरा श्रीनगर से 110 किलोमीटर दूर बालटाल से है। पहलगाम से गुफा का मार्ग पारंपरिक होने के साथ साथ 45 किलोमीटर लम्बा है, वहीं बालटाल का रास्ता काफी छोटा है और दूरी है करीब आठ किलोमीटर। अमरनाथ गुफा में पवित्र बर्फ का शिवलिंग मौजूद होता है, जो स्वाभाविक रूप से निर्मित होता है।
जम्मू से लेकर गुफा तक राज्य सरकार, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और देश भर से आए लोगों ने श्रद्धालुओं के लिए रहने-खाने, चिकित्सा और अन्य सुविधाओं के इंतजाम किए हैं। पिछले साल आतंकी खतरे के बावजूद रिकार्ड संख्या में 630,000 से अधिक तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए थे। और इस साल यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में सुरक्षाबलों की चुनौती और बढ़ जाती है कि पूरी यात्रा शांति पूर्वक निपटे।
श्रद्धालुओं के पहले जत्थे में 990 पुरूष, 225 महिलाएं, 13 बच्चे और 144 साधु हैं। सीआरपीएफ के जवान जम्मू बेस कैंप से 33 वाहनों में सवार श्रद्धालुओं के काफिले को लेकर निकले। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए यात्री ‘बम-बम भोले’ के जयकारे करते हुए पहलगाम और बालटाल के लिए रवाना हुए। वहां से शनिवार को वे 3888 मीटर ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के लिए रवाना होंगे।
सभी रास्तों पर सीआरपीएफ़
हज़ारों की तादाद में श्रद्धालु जम्मू, पहलगाम और बालटाल पहुंच रहे हैं। यात्रा में किसी तरह की रुकावट न पड़े इसके मद्देनज़र सभी रास्तों पर सीआरपीएफ़ और जम्मू कश्मीर पुलिस की अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है। हाल के दिनों में आतंकी घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं।
जम्मू कश्मीर के दौरे पर राजनाथ सिंह
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह आज (शुक्रवार) से दो दिनों के जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। उन्होंने अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और सूबे में सुरक्षा के हालात की समीक्षा की। उन्होंने सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और पुलिस, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल बैठक कर हाल की आतंकी घटनाओं की समीक्षा की।
गौरतलब है कि अमरनाथ गुफा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता श्रीनगर से करीब 100 किलोमीटर दूर पहलगाम से है और दूसरा श्रीनगर से 110 किलोमीटर दूर बालटाल से है। पहलगाम से गुफा का मार्ग पारंपरिक होने के साथ साथ 45 किलोमीटर लम्बा है, वहीं बालटाल का रास्ता काफी छोटा है और दूरी है करीब आठ किलोमीटर। अमरनाथ गुफा में पवित्र बर्फ का शिवलिंग मौजूद होता है, जो स्वाभाविक रूप से निर्मित होता है।
जम्मू से लेकर गुफा तक राज्य सरकार, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और देश भर से आए लोगों ने श्रद्धालुओं के लिए रहने-खाने, चिकित्सा और अन्य सुविधाओं के इंतजाम किए हैं। पिछले साल आतंकी खतरे के बावजूद रिकार्ड संख्या में 630,000 से अधिक तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए थे। और इस साल यह आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में सुरक्षाबलों की चुनौती और बढ़ जाती है कि पूरी यात्रा शांति पूर्वक निपटे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं