मनोहर पर्रिकर
नई दिल्ली:
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि देश पर आतंकवादी हमले एक संगठित युद्ध की तरह हैं। रक्षामंत्री से एक टीवी साक्षात्कार के दौरान मणिपुर में सैन्यकर्मियों पर हमले और उसके बाद भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित आतंकवादी शिविरों पर घुस कर किए गए हमले तथा हाल ही में पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के बारे में पूछा गया।
पर्रिकर ने कहा, "हमने निश्चित रूप से आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया। लेकिन सामरिक कारणों से हम स्थानों का खुलासा नहीं कर सकते।"
पर्रिकर ने कहा, "निश्चित तौर पर हमने आतंकवादियों को संदेश दिया कि भारतीय सेना को इस तरीके से निशाना नहीं बनाया जा सकता। तुम लोग इस संगठित तरीके से ऐसा नहीं कर सकते। यह लगभग एक युद्ध जैसा है। यह 26/11 से कम नहीं था।"
आतंकवादियों ने मणिपुर में सेना के एक काफिले पर पिछले वर्ष 4 जून को हमला किया था, जिसमें कम से कम 18 सैनिक मारे गए थे और 11 अन्य घायल हो गए थे। भारत ने त्वरित जवाबी कार्रवाई करते हुए कम से कम दो आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया। आधिकारिक रूप से कहा गया था कि ये शिविर भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित थे।
पर्रिकर ने कहा, "हमारा मकसद उन्हें एक छोटे इलाके में घेर लेने का था और हम उन्हें खत्म करने में सफल रहे।" पठानकोट हमले के बारे में पर्रिकर ने कहा, "पठानकोट मामले में हमने उन्हें घेर लिया और मार डाला।"
रक्षामंत्री ने हमले के कुछ दिनों बाद कहा था कि उन लोगों के साथ उसी तरीके से निपटा जाए, जो भारत को पीड़ा पहुंचाएं। उन्होंने अपनी इस टिप्पणी को स्पष्ट किया और कहा कि यह कोई नीतिगत निर्णय नहीं है।
उन्होंने कहा, "अपने शब्दों के बारे में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सरकार का कोई नीतिगत निर्णय नहीं है। यह मेरी भावना थी और एक रक्षामंत्री के रूप में इस घटना से मुझे पीड़ा पहुंची है। मैंने वह बात कही है, जो देश का आम आदमी महसूस करता है। बाद में मैंने एक दूसरी बात कही थी कि अभियान का स्थान और तरीका हम तय करेंगे। यह एक गुप्त अभियान है। मैं इस बारे में अधिक चर्चा नहीं करूंगा। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि लोग इसे हल्के में न लें।"
पाकिस्तान में हो रही गिरफ्तारियों से संबंधित खबरों के बारे में पूछे जाने पर रक्षामंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि यह कुछ इस तरह है जैसे वे हमें कुछ इस तरह की बात बताना चाहते हैं कि इस तरह की हरकत जारी नहीं रहेगी। लेकिन पूर्व के अनुभव के आधार पर मेरी खुद की आपत्ति है।"
पठानकोट में क्या सेना विफल रही, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "इसकी जांच की जाएगी। लेकिन सफलता यह है कि उन्हें (आतंकवादी) एक छोटे इलाके में घेर लिया गया।"
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि पठानकोट अभियान विफल रहा। पर्रिकर ने कहा, "मैं नहीं समझता कि यह पूरी तरह से विफल रहा, जैसा कि कुछ लोग बता रहे हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो किसी जीत को हार में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। अभियान में 38 घंटे लगे। उसके बाद तलाशी अभियान चला, जिसमें पुष्टि की गई कि वहां कोई (आतंकवादी) नहीं था।"
पर्रिकर ने कहा, "हमने निश्चित रूप से आतंकवादी शिविरों को नष्ट किया। लेकिन सामरिक कारणों से हम स्थानों का खुलासा नहीं कर सकते।"
पर्रिकर ने कहा, "निश्चित तौर पर हमने आतंकवादियों को संदेश दिया कि भारतीय सेना को इस तरीके से निशाना नहीं बनाया जा सकता। तुम लोग इस संगठित तरीके से ऐसा नहीं कर सकते। यह लगभग एक युद्ध जैसा है। यह 26/11 से कम नहीं था।"
आतंकवादियों ने मणिपुर में सेना के एक काफिले पर पिछले वर्ष 4 जून को हमला किया था, जिसमें कम से कम 18 सैनिक मारे गए थे और 11 अन्य घायल हो गए थे। भारत ने त्वरित जवाबी कार्रवाई करते हुए कम से कम दो आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया। आधिकारिक रूप से कहा गया था कि ये शिविर भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित थे।
पर्रिकर ने कहा, "हमारा मकसद उन्हें एक छोटे इलाके में घेर लेने का था और हम उन्हें खत्म करने में सफल रहे।" पठानकोट हमले के बारे में पर्रिकर ने कहा, "पठानकोट मामले में हमने उन्हें घेर लिया और मार डाला।"
रक्षामंत्री ने हमले के कुछ दिनों बाद कहा था कि उन लोगों के साथ उसी तरीके से निपटा जाए, जो भारत को पीड़ा पहुंचाएं। उन्होंने अपनी इस टिप्पणी को स्पष्ट किया और कहा कि यह कोई नीतिगत निर्णय नहीं है।
उन्होंने कहा, "अपने शब्दों के बारे में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सरकार का कोई नीतिगत निर्णय नहीं है। यह मेरी भावना थी और एक रक्षामंत्री के रूप में इस घटना से मुझे पीड़ा पहुंची है। मैंने वह बात कही है, जो देश का आम आदमी महसूस करता है। बाद में मैंने एक दूसरी बात कही थी कि अभियान का स्थान और तरीका हम तय करेंगे। यह एक गुप्त अभियान है। मैं इस बारे में अधिक चर्चा नहीं करूंगा। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि लोग इसे हल्के में न लें।"
पाकिस्तान में हो रही गिरफ्तारियों से संबंधित खबरों के बारे में पूछे जाने पर रक्षामंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि यह कुछ इस तरह है जैसे वे हमें कुछ इस तरह की बात बताना चाहते हैं कि इस तरह की हरकत जारी नहीं रहेगी। लेकिन पूर्व के अनुभव के आधार पर मेरी खुद की आपत्ति है।"
पठानकोट में क्या सेना विफल रही, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "इसकी जांच की जाएगी। लेकिन सफलता यह है कि उन्हें (आतंकवादी) एक छोटे इलाके में घेर लिया गया।"
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि पठानकोट अभियान विफल रहा। पर्रिकर ने कहा, "मैं नहीं समझता कि यह पूरी तरह से विफल रहा, जैसा कि कुछ लोग बता रहे हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो किसी जीत को हार में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। अभियान में 38 घंटे लगे। उसके बाद तलाशी अभियान चला, जिसमें पुष्टि की गई कि वहां कोई (आतंकवादी) नहीं था।"
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