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This Article is From Apr 16, 2017

एसटी, मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक इस राज्‍य में हुआ पारित

एसटी, मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक इस राज्‍य में हुआ पारित
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (फाइल फोटो)
हैदराबाद: तेलंगाना विधानमंडल के दोनों सदनों ने रविवार को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जनजाति और मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्ग के लोगों के लिये आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक पारित कर दिया. भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने तेलंगाना पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों और राज्य सरकार के तहत सेवाओं में नियुक्तियों या पदों में आरक्षण) विधेयक, 2017 का समर्थन किया.

मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिये भेजा जायेगा. इस विधेयक के तहत अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण को मौजूदा 6 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है जबकि बीसी-ई (मुस्लिम समुदाय के पिछड़ा वर्ग) के लिये इसे मौजूदा 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. इसके परिणामस्वरूप राज्य में कुल आरक्षण मौजूदा 50 फीसदी से बढ़कर 62 फीसदी हो जाएगा.

विधानसभा अध्यक्ष मधुसूदनाचारी से आज के विशेष सत्र से भाजपा के सभी पांच विधायकों को निलंबित कर दिया था क्योंकि वे पोस्टर लेकर इस विधेयक को ‘असंवैधानिक’ बता रहे थे. भाजपा विधायकों का कहना था कि विधेयक धर्म आधारित आरक्षण की बात करता है. विधानपरिषद में एक मात्र भाजपा सदस्य रामचंद्र राव ने भी विधेयक के विरोध में बर्हिगमन किया.

धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ है बीजेपी...
गौरतलब है कि बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा था कि देश में धर्म आधारित आरक्षण लागू करने से सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है और इससे ‘एक और पाकिस्तान बन सकता है.’ अंबेडकर जयंती के अवसर पर भाजपा की एक बैठक को संबोधित करते हुए नायडू ने यह भी संकेत दिया था कुछ तबकों के लिए आरक्षण बढ़ाने का तेलंगाना का हालिया प्रस्ताव हो सकता है कि संवैधानिक तौर पर वैध नहीं हो. उन्होंने यह भी कहा था कि संविधान निर्माता बी आर अंबेडकर ने धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया था. उन्होंने कहा, ‘‘हम धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि केसीआर (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) इसे लागू करना चाहते हैं.

भाजपा ऐसे किसी कदम के विरोध में उस वक्त भी थी जब राजशेखर रेड्डी (अविभाजित आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री) और चंद्रबाबू नायडू (मौजूदा मुख्यमंत्री) ने ऐसा करने की कोशिश की.’ नायडू ने कहा था, ‘हम ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेंगे क्योंकि इससे एक और पाकिस्तान बन जाएगा. यह भाजपा की अखिल भारतीय नीति है. यह भाजपा की तेलंगाना इकाई की नीति नहीं है.’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा सांप्रदायिक आरक्षणों के खिलाफ है. नायडू ने कहा, ‘सांप्रदायिक आरक्षण लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांट देगा. इससे देश के एक और बंटवारे की मांग को हवा मिलेगी. इससे लोगों में एकता नहीं रह जाएगी. इससे सामाजिक दुर्भाव पैदा हो जाएगा.’

(इनपुट भाषा से...)

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