नई दिल्ली:
एक तरफ ओडिशा में पीएम मोदी ने पिछड़े मुस्लिमों के सम्मेलन करने की बात कही तो वहीं बीजेपी तेलंगाना में पिछड़े मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाए जाने के बिल का विरोध करती नज़र आई, लेकिन राज्य विधानसभा में चंद्रशेखर राव सरकार यह आरक्षण बढ़वाने में कामयाब रही. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिये भेजा जायेगा. इस विधेयक के तहत अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण को मौजूदा 6 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है जबकि बीसी-ई (मुस्लिम समुदाय के पिछड़ा वर्ग) के लिये इसे मौजूदा 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. इसके परिणामस्वरूप राज्य में कुल आरक्षण मौजूदा 50 फीसदी से बढ़कर 62 फीसदी हो जाएगा. इसके बाद राज्य में कुल आरक्षण 62 प्रतिशत पहुंच गया है जो सुप्रीम कोर्ट की 50% की सीमा से ज़्यादा है. हालांकि इस बिल को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए.
तेलंगाना में मुस्लिमों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक को भाजपा ने रद्दी का टुकड़ा बताया है. पार्टी ने कहा कि इसकी कोई कानूनी और संवैधानिक शुचिता नहीं है और यह केंद्र सरकार के स्तर पर रद्द हो जाएगा. भाजपा प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने बताया, केंद्र सरकार के स्तर पर यह शुरुआत में ही रद्द कर दिया जाएगा. राव ने कहा, धर्म आरक्षण देने का आधार नहीं हो सकता है और कानूनी तौर पर यह व्यवहारिक नहीं है क्योंकि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय रखी है. उन्होंने कहा, स्थानीय भाजपा इकाई इस विधयेक को अदालत में चुनौती देगी. उन्होंने प्रक्रिया का पालन नहीं किया और इसलिए यह विधेयक रद्दी के टुकड़े की तरह है, इसकी कोई वैधता नहीं है. राव ने कहा, यह अदालतों की जांच के समक्ष टिक नहीं पाएगा. उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर में संपन्न भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी इस मुद्दे को उठाया गया और इस पर चर्चा की गई.
गौरतलब है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा था कि देश में धर्म आधारित आरक्षण लागू करने से सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है और इससे ‘एक और पाकिस्तान बन सकता है. अंबेडकर जयंती के अवसर पर भाजपा की एक बैठक को संबोधित करते हुए नायडू ने यह भी संकेत दिया था कुछ तबकों के लिए आरक्षण बढ़ाने का तेलंगाना का हालिया प्रस्ताव हो सकता है कि संवैधानिक तौर पर वैध नहीं हो. उन्होंने यह भी कहा था कि संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हम धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध इसलिए नहीं कर रहे, क्योंकि केसीआर (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) इसे लागू करना चाहते हैं.
(इनपुट्स भाषा से भी)
तेलंगाना में मुस्लिमों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक को भाजपा ने रद्दी का टुकड़ा बताया है. पार्टी ने कहा कि इसकी कोई कानूनी और संवैधानिक शुचिता नहीं है और यह केंद्र सरकार के स्तर पर रद्द हो जाएगा. भाजपा प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने बताया, केंद्र सरकार के स्तर पर यह शुरुआत में ही रद्द कर दिया जाएगा. राव ने कहा, धर्म आरक्षण देने का आधार नहीं हो सकता है और कानूनी तौर पर यह व्यवहारिक नहीं है क्योंकि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय रखी है. उन्होंने कहा, स्थानीय भाजपा इकाई इस विधयेक को अदालत में चुनौती देगी. उन्होंने प्रक्रिया का पालन नहीं किया और इसलिए यह विधेयक रद्दी के टुकड़े की तरह है, इसकी कोई वैधता नहीं है. राव ने कहा, यह अदालतों की जांच के समक्ष टिक नहीं पाएगा. उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर में संपन्न भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी इस मुद्दे को उठाया गया और इस पर चर्चा की गई.
गौरतलब है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा था कि देश में धर्म आधारित आरक्षण लागू करने से सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है और इससे ‘एक और पाकिस्तान बन सकता है. अंबेडकर जयंती के अवसर पर भाजपा की एक बैठक को संबोधित करते हुए नायडू ने यह भी संकेत दिया था कुछ तबकों के लिए आरक्षण बढ़ाने का तेलंगाना का हालिया प्रस्ताव हो सकता है कि संवैधानिक तौर पर वैध नहीं हो. उन्होंने यह भी कहा था कि संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने धर्म आधारित आरक्षण का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हम धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध इसलिए नहीं कर रहे, क्योंकि केसीआर (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) इसे लागू करना चाहते हैं.
(इनपुट्स भाषा से भी)
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