हड़ताल कर रहे कर्मियों को 5 नवंबर की समयसीमा के बाद वापस नहीं लिया जाएगा: तेलंगाना सरकार

सरकार ने कहा कि यदि कर्मी हड़ताल जारी रखते हैं, तो वह निजी बस चालकों को कुल 10400 मार्गों में से 5000 मार्गों पर सेवाएं देने की अनुमति दे देगी, जिससे TSRCTC का अस्तित्व वस्तुत: समाप्त हो जाएगा.

हड़ताल कर रहे कर्मियों को 5 नवंबर की समयसीमा के बाद वापस नहीं लिया जाएगा: तेलंगाना सरकार

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव

खास बातें

  • राज्य सरकार ने TSRCTC कर्मियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया
  • 5 नवंबर के बाद किसी भी कर्मी को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी
  • निजी बस चालकों को अनुमति देकर TSRCTC का कर देंगे अस्तित्व समाप्त
हैदराबाद:

हड़ताल कर रहे तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम कर्मियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए तेलंगाना सरकार ने सोमवार को फैसला किया कि ड्यूटी पर लौटने की पांच नवंबर की समयसीमा समाप्त होने के बाद किसी भी कर्मी को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सरकार ने कहा कि यदि कर्मी हड़ताल जारी रखते हैं, तो वह निजी बस चालकों को कुल 10400 मार्गों में से 5000 मार्गों पर सेवाएं देने की अनुमति दे देगी, जिससे परिवहन निगम का अस्तित्व वस्तुत: समाप्त हो जाएगा.

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बता दें, सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस स्थिति के लिए कर्मी ही जिम्मेदार होंगे और इसलिए उन्हें यह फैसला करना चाहिए कि उन्हें अपनी नौकरी बचानी है या अपने परिवारों को मुश्किल में डालना है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता वाली एक बैठक में कहा गया कि यूनियन नेता हाईकोर्ट में जारी सुनवाई का हवाला देते हुए कर्मियों को गलत जानकारी दे रहे हैं. बयान में कहा गया, ‘लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार हाईकोर्ट ने हड़ताल पर सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया है.' बयान में बैठक में हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा गया कि मामला हाईकोर्ट में गया तो और लंबा खिंचेगा और इससे कर्मियों का कोई भला नहीं होगा. 

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इस बीच, कर्मचारी यूनियनों ने कहा कि सरकार को मुद्दे को हल करने के लिए पहले बातचीत करनी चाहिए. कई मांगों को लेकर की जा रही बेमियादी हड़ताल 30 दिनों से जारी है. TSRCTC-JAC नेता ई अश्वत्थामा रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों में भरोसा पैदा नहीं कर पाए, बल्कि वह उन्हें ‘भड़काने' की कोशिश कर रहे हैं. रेड्डी ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘मामले को हल करने के लिए पहले बातचीत की जानी चाहिए. यह मंत्रियों या आरटीसी प्रबंधन की एक समिति हो सकती थी, लेकिन मुख्यमंत्री एकतरफा फैसले ले रहे हैं. किसी के पास किसी को नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)