बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर ने कोर्ट जाने की बात कही है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
खराब खाने को लेकर सुर्खियों में आए बीएसएफ के जवान को बर्खास्त करने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. विरोधी दलों ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और आरोप लगाए हैं कि सरकार लोगों से बोलने की आजादी छीन रही है. उधर, बर्खास्त जवान ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.
बता दें कि जम्मू के पूंछ में एलओसी पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के एक जवान तेज बहादुर यादव ने इस साल की शुरुआत में अपने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने सीमा पर तैनात जवानों को दिए जा रहे खराब खाने को जनता को दिखाया था.
वीडियो वायरल होते ही केंद्र सरकार ने इस मामले पर जांच बैठा दी थी. बीएसएफ ने अपनी जांच में यादव की शिकायतों को खारिज कर दिया था. उल्टा, सेना ने तेजबहादुर के खिलाफ अनुशासन तोड़ने की जांच शुरू कर दी थी. बुधवार को सेना ने इस जवान को बर्खास्त कर दिया.
सेना से बर्खास्त होने के बाद तेजबहादुर गुरुवार को हरियाणा के रेवाड़ी स्थित अपने घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे इंसाफ की लड़ाई जारी रखेंगे और सेना के इस फैसले के खिलाफ सरकार और कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. उन्होंने कहा कि पहले उन्हें पेंशन और रिटारयमेंट के कागजात तैयार करने के लिए कहा गया, लेकिन अब बर्खास्त कर दिया. अब उन्हें पेंशन आदि का लाभ नहीं मिलेगा. तेज बहादुर का ये भी दावा है कि उन्हें 3 जवानों का सपोर्ट है, लेकिन साथ आएंगे तो उन पर भी कार्रवाई हो जाएगी.
उधर, तेजबहादुर पर की गई इस कार्रवाई को लेकर राजनीति में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं. इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि सेना के अपने अलग कायदे-कानून होते हैं. उनका अलग अनुशासन होता है. वे इस मामले का अघ्ययन करने के बाद ही कुछ कहेंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने इसे सरकार का सेना पर सर्जिकल स्ट्राइक कहा है. उन्होंने कहा कि तेज बहादुर ने व्यवस्था पर सवाल उठाया था. उल्टा उसे बर्खास्त कर दिया गया. व्यवस्था की पोल खोलने वाले एक सैनिक पर सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया.
जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि चुपचाप सरकार के नाम की माला जपते रहो, अगर किसी ने सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत की तो उसका अंजाम ठीक नहीं होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों से बोलने की आजादी छीन रही है
बता दें कि जम्मू के पूंछ में एलओसी पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के एक जवान तेज बहादुर यादव ने इस साल की शुरुआत में अपने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने सीमा पर तैनात जवानों को दिए जा रहे खराब खाने को जनता को दिखाया था.
वीडियो वायरल होते ही केंद्र सरकार ने इस मामले पर जांच बैठा दी थी. बीएसएफ ने अपनी जांच में यादव की शिकायतों को खारिज कर दिया था. उल्टा, सेना ने तेजबहादुर के खिलाफ अनुशासन तोड़ने की जांच शुरू कर दी थी. बुधवार को सेना ने इस जवान को बर्खास्त कर दिया.
सेना से बर्खास्त होने के बाद तेजबहादुर गुरुवार को हरियाणा के रेवाड़ी स्थित अपने घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे इंसाफ की लड़ाई जारी रखेंगे और सेना के इस फैसले के खिलाफ सरकार और कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. उन्होंने कहा कि पहले उन्हें पेंशन और रिटारयमेंट के कागजात तैयार करने के लिए कहा गया, लेकिन अब बर्खास्त कर दिया. अब उन्हें पेंशन आदि का लाभ नहीं मिलेगा. तेज बहादुर का ये भी दावा है कि उन्हें 3 जवानों का सपोर्ट है, लेकिन साथ आएंगे तो उन पर भी कार्रवाई हो जाएगी.
उधर, तेजबहादुर पर की गई इस कार्रवाई को लेकर राजनीति में भी विरोध के सुर उठने लगे हैं. इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि सेना के अपने अलग कायदे-कानून होते हैं. उनका अलग अनुशासन होता है. वे इस मामले का अघ्ययन करने के बाद ही कुछ कहेंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने इसे सरकार का सेना पर सर्जिकल स्ट्राइक कहा है. उन्होंने कहा कि तेज बहादुर ने व्यवस्था पर सवाल उठाया था. उल्टा उसे बर्खास्त कर दिया गया. व्यवस्था की पोल खोलने वाले एक सैनिक पर सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया.
जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि चुपचाप सरकार के नाम की माला जपते रहो, अगर किसी ने सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत की तो उसका अंजाम ठीक नहीं होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों से बोलने की आजादी छीन रही है
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