लोकसभा में शुक्रवार को सरकार ने तीन तलाक़ बिल पेश कर दिया. हालांकि इस दौरान विपक्ष के विरोध के बीच वोटिंग भी करानी पड़ी. केंद्र सरकार ने कहा कि यह क़ानून मुस्लिम महिलाओं की गरिमा बहाल करने के लिए है, जबकि कई नेताओं ने इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव बढ़ाने वाला बताया.
नई लोकसभा में कामकाज शुरू होते ही केंद्र सरकार के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल्कुल प्राथमिकता तय करते हुए तीन तलाक़ बिल पेश कर दिया. हालांकि इसको लेकर हुए हंगामे के बाद नए लोकसभाध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस पर वोटिंग कराई- पेश किए जाने के पक्ष में 187 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 74. रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया, कांग्रेस इंसाफ़ के इस सवाल की अनदेखी क्यों कर रही है.
इसके पहले सदन में बिल को लेकर विपक्ष सवालों की झड़ी लगाता रहा. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि वो तीन तलाक के हक़ में नहीं हैं, लेकिन इसके ख़िलाफ़ जो कानूनी प्रावधान हैं, उनका विरोध करते हैं. जबकि एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय संविधान का हवाला देते हुए दावा किया कि ये क़ानून मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है.
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असदुद्दीन ओवैसी ने एनडीटीवी से कहा - ''ये बिल संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम समुदाय को परेशान करने के लिए लाया गया है. देश में मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा के लिए पहले से चार कानून हैं. इस कानून से मुस्लिम महिलाओं की मुश्किलें बढ़ेंगी. संविधान के खिलाफ कानून बनाया जा रहा है. अगर दोषी पति को जेल भेजा जाएगा तो फिर पीड़ित महिला को मेन्टिनेंस कौन देगा?"
VIDEO : ओवैसी ने किया बिल का विरोध
इसके पहले पिछली लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हो चुका था, मगर राज्यसभा में सरकार इसे आगे नहीं बढ़ा पाई? इस बार भी राज्यसभा में बिल पास कराना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
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