प्रतीकात्मक तस्वीर
तिरुवल्लूर:
तमिलनाडु के तिरुवल्लूर के एक ईंट भट्टे से 317 बंधुआ मज़दूरों को छुड़ाया गया है। इन बंधुआ मज़दूरों में 88 बच्चे में शामिल हैं जो वहां ईंटें बनाने का काम करते थे। ये सभी मज़दूर ओडिशा के रहने वाले हैं। अधिकारियों के मुताबिक इन मज़दूरों के परिवार को 6 महीने के लिए 12 हज़ार रुपये देने का वादा किया गया था लेकिन इन परिवारों को हफ़्ते के कुल 200 रुपये दिए जाते थे। यही नहीं यहां हर दिन इन मज़दूरों से 17 से 20 घंटे काम लिया जाता था। पुलिस ने ईंट भट्टा मालिक समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास पर अपनी राय रखी थी। सत्यार्थी ने कहा था कि‘हम बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के लिए भारत सरकार द्वारा नये रूप वाली योजना के नये नियमों का स्वागत करते हैं जिसमें पुनर्वास मदद बीस हजार रूपये से बढाकर तीन लाख रूपये कर दी गई है।’ उन्होंने कहा था कि पुराने नियमों में और बदलाव और बंधुआ मजदूरी तथा तस्करी से मुक्त कराए गए बच्चों के मामलों की संक्षिप्त सुनवाई तेज करने और सहायता राशि का भुगतान 30 दिन के भीतर करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास पर अपनी राय रखी थी। सत्यार्थी ने कहा था कि‘हम बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के लिए भारत सरकार द्वारा नये रूप वाली योजना के नये नियमों का स्वागत करते हैं जिसमें पुनर्वास मदद बीस हजार रूपये से बढाकर तीन लाख रूपये कर दी गई है।’ उन्होंने कहा था कि पुराने नियमों में और बदलाव और बंधुआ मजदूरी तथा तस्करी से मुक्त कराए गए बच्चों के मामलों की संक्षिप्त सुनवाई तेज करने और सहायता राशि का भुगतान 30 दिन के भीतर करने की जरूरत है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं