मुंबई मेट्रो में किराया बढ़ाने को लेकर उठे विवाद और बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार को मिली पटखनी के बाद केंद्र सरकार ने इसका किराया तय करने के लिए 'टैरिफ फिक्सेशन कमिटी' बना दी है।
इस कमेटी के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस ई पद्मनाभन होंगे। कमेटी में उनके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव जयंत कुमार बांठिया और टी के विश्वनाथन भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के केंद्रीय शहरी विकासमंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात के बाद इस कमेटी के गठन का ऐलान हुआ।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र का यह कदम देरी से लिया गया फैसला है, जिसका ख़ामियाज़ा मुसाफिरों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने दो बार इस कमेटी के लिए केंद्र सरकार को नाम भेजे थे, लेकिन सरकार वक्त पर फैसला नहीं ले पाई।
उन्होंने बताया, पहले कमेटी की अध्यक्षतता के लिए सुबोध कुमार का नाम भेजा गया, जिसे केंद्र ने महीनों लटकाने के बाद अस्वीकार कर दिया। दूसरी बार मुख्य सचिव रहे जयंत बांठिया का नाम कमिटी की अध्यक्षता के लिए भेजा गया, लेकिन इस पर भी केंद्र ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई, वैसे उनको बतौर सदस्य इस कमेटी में जगह मिल गई है।
गौरतलब है कि मुंबई मेट्रो ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद फौरन किराया बढ़ा दिया। वैसे कोर्ट जब मेट्रो किराये में बढ़ोतरी के मामले पर सुनवाई कर रही थी, तब कई बार इस कमेटी का मसला उठा। एमएमआरडीए की गुज़ारिश पर कई बार इसके लिए मामले में नई तारीख दी गई, कमेटी के गठन का फैसला 31 जनवरी, 2015 तक होना था। लेकिन महाराष्ट्र सरकार के वकील अदालत को सुनवाई के दौरान भरोसा नहीं दिला पाए, लिहाजा कोर्ट ने समय देने की बजाए एमएमआरडीए की याचिका ही खारिज कर दी।
हाईकोर्ट की इजाज़त के बाद आरइंफ्रा ने मेट्रो के किराए में जो बदलाव किए हैं, उसके मुताबिक मुंबई मेट्रो के कुल बारह स्टेशन में हर चौथे स्टेशन पर किराया 10 रुपये बढ़ गया है।
जानकारों के मुताबिक भविष्य में अगर आगे कभी फिर किराया बढ़ता है, तब जाकर इस 'टैरिफ फिक्सेशन कमिटी' का काम शुरू होगा। ऐसे में अगर कंपनी की मनमानी रोकनी है तो सरकार को मेट्रो एक्ट में ही ज़रूरी बदलाव करना होगा।
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