प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन स्वदेशी जागरण मंच को लगता है कि नीति आयोग अपने उद्देश्यों से भटक रहा है. मंच का मानना है कि नीति आयोग नीतियों को बनाने में व्यापक विचार विमर्श के बजाए ऊपर से थोपने के उसी ढर्रे पर चल रहा है जिस पर योजना आयोग चलता था. अब इस पर चर्चा के लिए 10 जनवरी को एक सम्मेलन बुलाया गया है जिसमें मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भी बुलाया गया है.
स्वदेशी जागरण मंच के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने का फैसला करते वक्त साफ कहा था कि ये सहकारी संघवाद बढ़ाने के लिए है. पीएम मोदी ने कहा था कि नीति आयोग की सोच ऊपर से नीचे के बजाए नीचे से ऊपर की होगी यानी किसी भी फ़ैसले में हिस्सेदारों से व्यापक विचार-विमर्श होगा.
मंच के मुताबिक ऐसा नहीं हो रहा है. वो आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों यानी जीएम मस्टर्ड का उदाहरण देते हैं. स्वदेशी जागरण मंच के मुताबिक नीति आयोग ने बिना राज्य सरकारों से उचित सलाह-मशविरा किए इस पर नीति बनाई. जबकि ये एक ऐसा विषय है जिस पर राज्यों की राय ली जानी चाहिए थी. इसी तरह कृषि, रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर नीति आयोग की रिपोर्ट राज्यों की सलाह के बिना तैयार किए लगती हैं.
मंच ने इसी पर बात के लिए 10 जनवरी को दिल्ली में एक सम्मेलन बुलाया है. मंच के अधिकारियों के मुताबिक इसे समीक्षा कहने के बजाए नीति आयोग के दो वर्ष के कामकाज पर चर्चा माना जाए. महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें बीजेपी के भीतर स्वदेशी विचारधारा के समर्थक माने जाने वाले और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी को भी आमंत्रित किया गया है. इसी तरह बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भी बुलाया गया है. शांता कुमार को भी न्योता गया है जो बीच-बीच में अपनी नाराजगी जताते रहे हैं.
स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन के मुताबिक सम्मेलन में कुछ अर्थशास्त्रियों को भी बुलाया जा रहा है. नीति आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगढिया तथा आयोग के अन्य सदस्यों को भी आमंत्रित किया जा रहा है ताकि वो इस चर्चा में आयोग का पक्ष स्पष्ट कर सकें.
स्वदेशी जागरण मंच के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने का फैसला करते वक्त साफ कहा था कि ये सहकारी संघवाद बढ़ाने के लिए है. पीएम मोदी ने कहा था कि नीति आयोग की सोच ऊपर से नीचे के बजाए नीचे से ऊपर की होगी यानी किसी भी फ़ैसले में हिस्सेदारों से व्यापक विचार-विमर्श होगा.
मंच के मुताबिक ऐसा नहीं हो रहा है. वो आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों यानी जीएम मस्टर्ड का उदाहरण देते हैं. स्वदेशी जागरण मंच के मुताबिक नीति आयोग ने बिना राज्य सरकारों से उचित सलाह-मशविरा किए इस पर नीति बनाई. जबकि ये एक ऐसा विषय है जिस पर राज्यों की राय ली जानी चाहिए थी. इसी तरह कृषि, रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर नीति आयोग की रिपोर्ट राज्यों की सलाह के बिना तैयार किए लगती हैं.
मंच ने इसी पर बात के लिए 10 जनवरी को दिल्ली में एक सम्मेलन बुलाया है. मंच के अधिकारियों के मुताबिक इसे समीक्षा कहने के बजाए नीति आयोग के दो वर्ष के कामकाज पर चर्चा माना जाए. महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें बीजेपी के भीतर स्वदेशी विचारधारा के समर्थक माने जाने वाले और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी को भी आमंत्रित किया गया है. इसी तरह बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भी बुलाया गया है. शांता कुमार को भी न्योता गया है जो बीच-बीच में अपनी नाराजगी जताते रहे हैं.
स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन के मुताबिक सम्मेलन में कुछ अर्थशास्त्रियों को भी बुलाया जा रहा है. नीति आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगढिया तथा आयोग के अन्य सदस्यों को भी आमंत्रित किया जा रहा है ताकि वो इस चर्चा में आयोग का पक्ष स्पष्ट कर सकें.
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