सुशांत सिंह केस : रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुबह 11 बजे सुनाएगा फैसला

शीर्ष अदालत रिया चक्रवर्ती की केस को बिहार से मुंबई ट्रांसफर करने की याचिका पर फैसला सुनाएगी. जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच यह फैसला सुनाएगी.

सुशांत सिंह केस : रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुबह 11 बजे सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली:

Sushant Singh Case: बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रबर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार सुबह 11 बजे फैसला सुनाएगा. शीर्ष अदालत रिया चक्रवर्ती की केस को बिहार से मुंबई ट्रांसफर करने की याचिका पर फैसला सुनाएगी. जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच यह फैसला सुनाएगी. गौरतलब है कि मामले की जांच सीबीआई को दी जा चुकी है और CBI ने FIR दर्ज तक जांच शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि मामले की जांच कौन करेगा. सुशांत के पिता केके सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, इसमें मुंबई पुलिस पर कार्रवाई न करने और सहयोग न करने का आरोप लगाया गया है.

सुशांत के पिता केके सिंह ने कहा है कि सीबीआई को ही मामले की जांच करनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि रिया ने तो खुद ही सीबीआई जांच की मांग की थी.रिया की याचिका अब निष्प्रभावी हो चुकी है, यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि ट्रायल एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो सकता है जांच नहीं. उन्होंने कहा है कि बिहार पुलिस का इस मामले में क्षेत्राधिकार बनता है.पिछले एक साल से रिया के आपराधिक कृत्य को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. मुंबई पुलिस की जांच एक 'आई वॉश' है. मुंबई पुलिस ने अपराधी को पकड़ने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. उन्‍होंने कहा है कि रिया ने इस मामले में गवाह सिद्धार्थ को प्रभावित किया. सिद्धार्थ ने बिहार पुलिस के ईमेल को रिया को लीक किया.

मुंबई पुलिस ने अपने हलफनामे में सुशांत केस में बिहार पर राजनीति करने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में मुंबई पुलिस ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले बिहार पुलिस सुशांत के पिता की शिकायत पर FIR दर्ज नहीं करना चाहती थी, लेकिन मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के दखल के बाद FIR दर्ज की गई जो कि राजनीतिक उद्देश्य के लिए की गई. मुंबई पुलिस ने कहा है कि सुशांत के पिता ने कभी भी मुंबई पुलिस को शिकायत नहीं दी न ही कोई आरोप लगाए. अगर वो मुंबई पुलिस को शिकायत करते तो पुलिस को FIR दर्ज करने में कोई परेशानी नहीं थीलेकिन उन्होंने 38 दिन बाद बिहार पुलिस को शिकायत दी जो कि सोची समझी रणनीति लगती है. महाराष्ट्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया और सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया. महाराष्ट्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल की, इसमें बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मामले में बिहार सरकार ने नियमों के खिलाफ जा कर काम किया. बिहार सरकार के पास केवल जीरो FIR दर्ज करने का अधिकार था. उन्हें FIR दर्ज कर हमारे पास भेजना चाहिए था. FIR दर्ज कर बिहार पुलिस ने जांच शुरू कर दी जिसका उन्हें कोई अधिकार नही है.जब जांच ही गैरकानूनी है तो बिहार सरकार CBI जांच की अनुशंसा कैसे कर सकती है. इसमें कहा गया है कि केंद्र ने भी सीबीआई जांच की सिफारिश मान कर गलत किया..महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि सीबीआई से जांच लेकर उसे दी जाए.

उधर, बिहार पुलिस ने अपने हलफनामे में मुंबई पुलिस पर रिया का साथ देने का आरोप लगाया है. उसने कहा है कि मुंबई पुलिस ने जांच में रुकावट डाली और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी अफसर को नहीं छोड़ा. सुशांत के पिता के आरोप संगीनपर FIR दर्ज करने का बिहार पुलिस का क्षेत्राधिकार है. बिहार सरकार ने SC में हलफनामा दायर कर रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों पर सुशांत सिंह राजपूत के साजिशन संपर्क में रहने का आरोप लगाया है, जिसका मकसद अभिनेता के करोड़ों रुपए हड़पना और बाद में उनकी मानसिक बीमारी की झूठी तस्वीर पेश करना बताया गया है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा SC में दायर हलफनामे में कहा है कि रिया चक्रवर्ती, सुशांत राजपूत को अपने घर ले गई और उन्हें दवा का ओवरडोज देना शुरू कर दिया. बिहार पुलिस का कहना है कि उसे मुंबई पुलिस के असहयोग के बावजूद जांच में कई सुराग पाए हैं और SC को बताया है कि सुराग भारत में कई स्थानों पर बिखरे हुए हैं. बिहार पुलिस ने राजपूत की रहस्यमय आत्महत्या की मौत की सीबीआई जांच का सुझाव दिया है.

रिया ने बिहार पर चुनाव के मद्देनजर राजनीति का आरोप लगाया और कहा कि दुर्भाग्य से सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की दुखद घटना बिहार में चुनाव के मद्देनज़र उठाई जा कही है. इसके चलते आत्महत्या का मुद्दा अलग-थलग हो गया और इसे बड़े पैमाने पर उठाया गया. इस मुद्दे को मीडिया में जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया है. मीडिया चैनल सभी गवाहों की जांच और जिरह कर रहे हैं.याचिकाकर्ता को पहले से ही मीडिया द्वारा दोषी ठहराया गया है.रिया ने ये भी कहा है कि अगर अदालत इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इस जांच का क्षेत्राधिकार मुंबई की अदालत होना चाहिए पटना की नहीं. केंद्र सरकार ने भी मामले में दलील दी है. इसके अनुसार, सीबीआई ने कहा है कि 56 गवाहों के बयानों दर्ज करने की मुंबई पुलिस की कार्रवाही किसी कानून के बैकअप के तहत  नहीं है.मुंबई में कोई 'केस' लंबित नहीं है, इसलिए वहां ट्रांसफर का कोई सवाल ही नहीं है. SC को CBI और ED को ये जांच जारी रहने देना चाहिए.

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