सुशांत सिंह राजपूत मामले (Sushant Singh Rajput Case) में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लिखित दलील दाखिल की है. महाराष्ट्र सरकार ने अपनी लिखित दलील में कहा कि पटना में FIR दर्ज करना दुर्भावनापूर्ण है. एकल जज पीठ सीबीआई जांच के आदेश जारी नहीं कर सकती. सीबीआई को केस ट्रांसफर करने का कोई कारण नहीं है. सुशांत मामले की जांच मुंबई पुलिस के हवाले की जाए. राज्य सरकार ने पटना में दर्ज एफआईआर को राजनीति से प्रेरित बताया है.
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि जांच के निष्कर्ष के बाद यदि किसी व्यक्ति द्वारा संज्ञेय अपराध पर संदेह है तो एफआईआर दर्ज की जा सकती है. मुंबई पुलिस कुशलतापूर्वक, निष्पक्ष और पेशेवर रूप से जांच को अंजाम दे रही है इसलिए मुंबई पुलिस को एफआईआर ट्रांसफर की जाए. सुप्रीम कोर्ट (SC) ने पहले ही 30 जुलाई को CBI जांच के लिए एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी.
सरकार ने न्यायालय में कहा कि सुशांत के पिता की दलील है कि सुशांत का पैसा पटना में प्राप्त करना था और इसलिए, पटना में एफआईआर अधिकार क्षेत्र के भीतर है वो सही नहीं है. सभी बैंक खातों सहित मृतक का सारा धन हमेशा मुंबई में रहा है. किसी भी मामले में सुशांत परिवार उस संबंध में कार्रवाई किए बिना पटना में स्वचालित रूप से धन प्राप्त नहीं कर सकता है.
वहीं, सुशांत सिंह मामले में केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया. सीबीआई ने कहा कि 56 गवाहों के बयानों दर्ज करने की मुंबई पुलिस की कार्रवाई किसी कानून के बैकअप के तहत नहीं है. मुंबई में कोई 'केस' लंबित नहीं है, इसलिए वहां ट्रांसफर का कोई सवाल ही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को ये जांच जारी रखने देना चाहिए.
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