Lakhimpur Kheri case: लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra)की जमानत रद्द होगी या नहीं, इस पर लोगों की निगाह जमी हुई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस मामले में 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा.CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच यह फैसला सुनाएगी.पीड़ितों के परिवार वालों ने यह याचिका दायर की है, उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की है. मामले में 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और आशीष मिश्रा को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था कि जमानत रद्द क्यों न की जाए.सुप्रीम कोर्ट ने गवाह पर हमले के मुद्दे पर भी चिंता जताई थी, साथ ही यूपी सरकार को नोटिस जारी कर गवाहों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत जवाब मांगा था.सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सभी गवाहों की सुरक्षा करने का निर्देश दिया था.
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आशीष मिश्रा को जमानत मिलने के बाद एक प्रमुख संरक्षित गवाह पर बेरहमी से हमला किया गया था और हमलावरों ने धमकी दी थी कि अब, जब बीजेपी यूपी चुनाव जीत गई है तो वे उसका " ध्यान" रखेंगे. प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि परिवार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया गया है क्योंकि यूपी सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में विफल रही है. आदेश के गुण-दोष पर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने जमानत देते समय मिश्रा के खिलाफ बड़े सबूतों पर विचार नहीं किया क्योंकि उसके खिलाफ चार्जशीट रिकॉर्ड में नहीं लाई गई. हाईकोर्ट ने अपराध की जघन्य प्रकृति, चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत, पीड़ित और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति की संभावना पर विचार किए बिना जमानत दी थी.आरोपी न्याय से भाग रहा है और अपराध को दोहरा रहा है और गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावना है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि पीड़ितों को संबंधित सामग्री को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाने से रोका गया क्योंकि उनके वकील 18 जनवरी, 2022 को जमानत मामले की सुनवाई से अलग हो गए थे. इसमें कहा गया है कि वकील मुश्किल से कोई दलील दे सके और दोबारा कनेक्ट होने के लिए कोर्ट स्टाफ को बार-बार कॉल करने से कोई फायदा नहीं हुआ और पीड़ितों द्वारा हाईकोर्ट में प्रभावी सुनवाई के लिए दायर अर्जी खारिज कर दी गई. इससे पहले आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने की एक और अर्जी दाखिल की गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आ गया है. किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई थी. मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था.इस मामले में उत्तर प्रदेश की एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.लखनऊ बेंच ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई पूरी करने के बाद मिश्रा की याचिका पर 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. आशीष मिश्रा को जमानत के आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस पर सवाल उठाया था और कहा था कि FIR में आशीष मिश्रा को फायरिंग करने वाला बताया गया लेकिन किसी को भी गोली की चोट नहीं मिली. जीप चालक को प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए उकसाने वाला बताया लेकिन चालक और अन्य को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला. मामले की जांच में भी आशीष मिश्रा शामिल हुआ.मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को पूरी तरह से देखते हुए, यह स्पष्ट है कि FIR के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए आशीष मिश्रा ने फायरिंग कीलेकिन जांच के दौरान, किसी भी मृतक या किसी घायल व्यक्ति के शरीर पर पर गोली की चोट नहीं मिली थी.
आपको बता दें कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर जिले के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष तथा 15-20 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था.आशीष को पिछली नौ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.इस घटना में कथित तौर पर भीड़ में लोगों के ऊपर एसयूवी (थार जीप) चढ़ा देने से जहां चार किसानों की मौत हो गई थी.उसके बाद भड़की हिंसा में दो भाजपा समर्थकों, एक एसयूवी चालक और एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
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