BJP नेताओं के भड़काऊ भाषण देने के मामले की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, कहा- शांति चाहते हैं लेकिन शक्तियों की है सीमा

याचिकाकर्ता की ओर से पेश कॉलिन गोंजाल्विस ने CJI एस ए बोबडे को बताया कि हर्ष मंदर और पांच पीड़ितों की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है.

BJP नेताओं के भड़काऊ भाषण देने के मामले की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, कहा- शांति चाहते हैं लेकिन शक्तियों की है सीमा

भड़काऊ भाषण मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

खास बातें

  • भड़काऊ भाषण मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार
  • बुधवार को होगी सुनवाई
  • कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को तैनात करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट भड़काऊ भाषण देने के आरोपी भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. दिल्ली हिंसा के पीड़ितों ने भड़काऊ भाषण देने के आरोपी भाजपा नेताओं के खिलाफ पिछले सप्ताह कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें भड़काऊ भाषण (Hate Speech) देने के मामले में आरोपी तीनों नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि हम ऐसे मामलों को रोक नहीं सकते हैं. कोर्ट सुनवाई के बाद ही हालात से निपट सकता है. हालांकि, न्यायालय ने कहा कि "हम शांति की उम्मीद करते हैं, लेकिन इस तरह की हिंसा को नियंत्रित करने की अदालत की शक्तियों की सीमा है." 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश कॉलिन गोंजाल्विस ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को बताया कि हर्ष मंदर और पांच पीड़ितों की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है. याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के मामले को 13 अप्रैल तक टालने को चुनौती दी गई हैं. इसमें कहा गया कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत. रोजाना लोग मारे जा रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी के लोगों ने हिंसा भड़काने वाले बयान दिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ देर मामले की सुनवाई कर इसे 6 हफ्तों के लिए टाल दिया है. इसी तरह हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में भी किया था.

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याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल याचिका में मांग की गई है कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अन्य सभी के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए जो हेट स्पीच, दंगे, हत्या और आगजनी में लिप्त थे. दंगों की जांच के लिए दिल्ली के बाहर के अधिकारियों की एसआईटी टीम का गठन किया जाए. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को तैनात किया जाए. पुलिस वालों की भूमिका की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की जाए.

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इसके अलावा, याचिका में पीड़ितों को असाधारण मुआवजा देने, पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की पूरी सूची सार्वजनिक करने, दंगा प्रभावित क्षेत्रों के सभी सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पीड़ितों के परिवारों को तुरंत जारी करने की मांग भी की गई है.

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