उच्चतम न्यायालय ने देश के अगले थल सेनाध्यक्ष के रूप में ले. जनरल दलबीर सिंह सुहाग की नियुक्ति पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। ले. जनरल सुहाग 1 अगस्त को अपना पदभार ग्रहण करेंगे।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'ऐसी कोई वजह नहीं है कि इस पर रोक लगायी जानी चाहिए।' शीर्ष अदालत ने कहा कि ले. जनरल सुहाग की नियुक्ति पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है। ले. जनरल रवि दास्ताने ने ले. जनरल सुहाग की नियुक्ति को चुनौती दी थी।
न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सरकार ने भी इस नियुक्ति को न्यायोचित ठहराया है और ले. जनरल द्वारा लगाए गए आरोपों में भी ऐसा कुछ नहीं है। न्यायालय ने कहा कि ले. जनरल सुहाग इस पद के लिये सभी मानदंडों को पूरा करते हैं और वह वरिष्ठता सूची में वरिष्ठतम हैं।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ले. जनरल सुहाग पर लगाया गया प्रतिबंध 2012 में उठा लिया गया था और उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था।
इससे पहले, केन्द्र सरकार ने न्यायालय में कहा था कि अप्रैल और मई 2012 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने ले. जनरल सुहाग पर अनुशासनिक प्रतिबंध लगाने के लिए जिन कथित चूक को आधार बनाया था, वे 'अस्पष्ट' और 'गैर-कानूनी' थे।
जनरल सिंह इस समय राजग सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने ले जनरल सुहाग को अनुशासनिक और सतर्कता पाबंदी के तहत रखा था। यह प्रतिबंध ले जनरल सुहाग के सीधे नियंत्रण में काम कर रही गुप्तचर इकाई के एक आपरेशन में 'कमान और नियंत्रण' की कथित विफलता के लिये लगाया गया था। ले जनरल सुहाग उस समय दीमापुर स्थित 3 कार्प के कमाण्डर थे।
संप्रग द्वितीय ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में ले जनरल सुहाग को थल सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह का उत्तराधिकारी घोषित किया था। जनरल सिंह 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
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