सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ग्रीन क्रेकर्स सिर्फ दिल्ली NCR के लिए हैं. कोर्ट आतिशबाजी की टाइमिंग में बदलाव को तैयार है पर 24 घण्टे में 2 घण्टे से ज़्यादा आतिशबाजी की इजाज़त नहीं है. दक्षिणी राज्यों में सुबह आतिशबाजी के लिए इजाजत की अपील की गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दो घण्टों में किसको कब कितना समय चाहिए कोर्ट को बता दें, ताकि कल आर्डर दिया जा सके. पटाखा निर्माताओं की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि पुराने पटाखों का स्टॉक 2 सप्ताह में खत्म करने की समय सीमा बढाई जाय. 6 हफ्ते दिए जाएं. कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जब आप रोम में हों तो रोमन्स की तरह बर्ताव करना चाहिए. उत्तर भारत मे यहां की तरह रात को मनाइए दिवाली. अगर आपको दोनों समय छूट चाहिए तो एक घण्टा सुबह और एक घण्टा रात.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी सरकार और निर्माता सबने कहा है कि इस साल ग्रीन क्रेकर्स बाजार में नहीं आ सकते. लिहाज़ा फिलहाल तो पूर्ण प्रतिबन्ध ही माना जाएगा. याचिकाकर्ता की ओर से गोपाल नारायण ने कहा कि बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल ना करने पर 50 %तक प्रदूषण कम होने का दावा है, लेकिन 50 फीसद फिर भी होता है. अब डायरेक्शन को 2019 की दिवाली को भी ध्यान में रखकर भी माना जाए. हम सिर्फ प्रदूषण से नहीं बल्कि आतिशबाजी निर्माताओं मज़दूरों की समस्या से भी जूझ रहे हैं. निर्माताओं की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि सल्फर, पोटेशियम और बेरियम को लेकर समस्या है. इनसे बनी 50 लाख किलोग्राम तक आतिशबाजी का स्टॉक फिलहाल दिल्ली में है. इसे दिल्ली एनसीआर से बाहर ले जाने की इजाज़त दी जाय.
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