प्रतिकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
देश भर में बुजर्गो की पेंशन और दयनीय स्थिति को सुधारने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि पेंशन देने की जो योजना है उसकी निगरानी कौन करता है और उसके जिम्मेदार कौन हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते है कि पेंशन को लेकर बनाई गई योजना में समन्वय की कमी है. हमें उस कमी को खत्म करना है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि बुजर्गो की पेंशन और दयनीय स्थिति को लेकर भले ही कितनी स्कीम लेकर आएं लेकिन उनकी हालात में कोई सुधार नही दिख रहा है. केंद्र सरकार ने कहा कि हम एक नई योजना ला रहे है जिसमें उनके रहने की व्यवस्था और जीवन की सुरक्षा आदि शामिल है. सुप्रीम कोर्ट अब तीन हफ्ते के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा.
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गौरतलब है कि पिछले दिनों लेफ्टिनेंट कर्नल रविंद्र भंडारी ने आरटीआई से मिली एक जानकारी को ट्वीट किया था. इस ट्वीट में कहा गया कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रक्षा मंत्रालय से जुड़े सभी मुकदमों की पैरवी पर करीब 48 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. यह आंकड़ा साल 2017-18 का है, जबकि उससे पहले के साल में करीब 32 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. आरटीआई में पूछा गया था कि कितने केस लड़े गए, कितने केस जीते गए, हारे गए. इस ट्वीट को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने री-ट्वीट किया. जनरल विनोद भाटिया के री-ट्वीट का संदर्भ यह था कि सरकार डिसेबल्ड सोल्जर को पेंशन न मिले इसके लिए मुकदमे पर जितना पैसा खर्च करती है उससे कम पैसे में उन्हें पेंशन दी जा सकती है.
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गौरतलब है कि पिछले दिनों लेफ्टिनेंट कर्नल रविंद्र भंडारी ने आरटीआई से मिली एक जानकारी को ट्वीट किया था. इस ट्वीट में कहा गया कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रक्षा मंत्रालय से जुड़े सभी मुकदमों की पैरवी पर करीब 48 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. यह आंकड़ा साल 2017-18 का है, जबकि उससे पहले के साल में करीब 32 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. आरटीआई में पूछा गया था कि कितने केस लड़े गए, कितने केस जीते गए, हारे गए. इस ट्वीट को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने री-ट्वीट किया. जनरल विनोद भाटिया के री-ट्वीट का संदर्भ यह था कि सरकार डिसेबल्ड सोल्जर को पेंशन न मिले इसके लिए मुकदमे पर जितना पैसा खर्च करती है उससे कम पैसे में उन्हें पेंशन दी जा सकती है.
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