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This Article is From Jan 18, 2022

भुखमरी से निपटने के लिए मॉडल सामुदायिक रसोई योजना पर विचार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

अदालत ने भुखमरी से होने वाली मौतों के लिए 2015-2016 की रिपोर्ट पर भरोसा करने के लिए सरकार की फटकार लगाई और कहा, 'क्या आप कह रहे हैं कि देश में 1 को छोड़कर भूख से कोई मौत नहीं हुई है?

भुखमरी से निपटने के लिए मॉडल सामुदायिक रसोई योजना पर विचार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट की नसीहत
सुप्रीम कोर्ट तीन हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई करेगा (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्‍ली:

भुखमरी से निपटने के लिए पूरे भारत में सामुदायिक रसोई (community kitchen) स्थापित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने  फिर  केंद्र पर सवाल उठाए हैं. SC ने केंद्र सरकार को कहा कि लोगों को भूख से मरने से बचाना चाहिए. क्या ये कहा जा सकता है कि देश में भुखमरी से एक को छोड़कर कोई मौत नहीं हुई? सु्प्रीम कोर्ट ने पूछा कि कम कीमत पर गरीब, लाचार लोगों के लिए सरकार ने सामुदायिक रसोई के लिए अभी तक कोई मॉडल योजना क्यों नहीं बनाई है? CJI एन वी रमना ने कहा कि यदि आप नीति बनाते हैं और अतिरिक्त खाद्यान्न देते हैं तो राज्य खाद्य नीति को लागू कर सकेंगे. केंद्र के पास कोई ठोस डेटा नहीं है.इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. समस्या भूख से निपटने की है. भुखमरी से मौत के आंकड़े ना मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को घेरा. CJI ने अटार्नी जनरल (AG) के के वेणुगोपाल को कहा, 'राज्य सरकारों द्वारा किसी भी भूख से मौत की सूचना नहीं दी गई. क्या यह समझा जाना चाहिए कि देश में कोई भूख से मौत नहीं है? भारत सरकार हमें भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़े, ताजा जानकारी दें.अपने अधिकारी से हमें जानकारी देने के लिए कहें.' 

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SC ने केंद्र को राज्यों और अन्य हितधारकों के परामर्श से भूख और भुखमरी से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल योजना तैयार करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा  कि इसमें अतिरिक्त रसद, संसाधन और खाद्यान्न का विस्तार शामिल हो सकता है. तीन हफ्ते बाद मामले की सनवाई होगी. मामले की सुनवाई के दौरान CJI एन वी रमना ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा, 'हमारा ध्यान इस बात पर है कि लोगों को भूख से मरना नहीं चाहिए. आपको एक मॉडल योजना के साथ आने के लिए अपने अधिकारियों के साथ चर्चा करनी होगी.हमने इस अदालत की मंशा के बारे में बताया है और इसका समाधान तलाशने की जरूरत है. जहां तक ​​ संसाधनों का सवाल है, राज्यों के साथ मिलकर इस पर काम किया जा सकता है. हम कुपोषण आदि के बड़े मुद्दों पर नहीं हैं, भूख को संतुष्ट करना है. हर कोई स्वीकार कर रहा है कि कोई समस्या है, मानवीय दृष्टिकोण रखें. अपने अधिकारियों को अपना विवेक लगाने के लिए कहें.

जब अटार्नी जनरल (AG) के के वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि इस संबंध में पहले से ही 134 योजनाएं हैं और राज्य को और अधिक धनराशि नहीं दी जा सकती है, और पहले से ही राज्यों को खाद्यान्न दिया जा रहा है तो पीठ ने केंद्र से अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा. अदालत ने मामले को दो सप्ताह के लिए टालते हुए कहा कि राज्य कुपोषण, भूख और अन्य मुद्दों पर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र की ओर से पेश हुए AG  से कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप भूख या भुखमरी से निपटने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. हम राष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श योजना पर विचार कर रहे हैं. एक योजना का मसौदा तैयार करें. इसे अंतिम रूप दें और फिर इसे राज्यों पर छोड़ दें. AG ने जवाब दिया कि केंद्र कोर्ट के सुझावों पर विचार करेगा. अभी तक हमारे पास 134 योजनाएं हैं और हम पहले से ही राज्यों को खाद्यान्न दे रहे हैं. हम मौजूदा योजनाओं से किसी भी पैसे को डायवर्ट नहीं कर सकते हैं. फिर हम एक योजना बना सकते हैं इससे 2% अतिरिक्त खाद्यान्न राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा. राज्यों को हलफनामा दाखिल करने दे. तो यह देखा जाएगा क्या यह 2% सभी राज्यों को स्वीकार्य है

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अदालत ने भुखमरी से होने वाली मौतों के लिए 2015-2016 की रिपोर्ट पर भरोसा करने के लिए सरकार की फटकार लगाई और कहा, 'क्या आप कह रहे हैं कि देश में 1 को छोड़कर भूख से कोई मौत नहीं हुई है? क्या हम उस बयान पर निर्भर हो सकते हैं?16 नवंबर 2021 को पिछली सुनवाई में  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी और कहा था, 'हमें संदेह है आपका योजना लागू करने का कोई इरादा है. भूख से मर रहे लोगों को भोजन मुहैया कराना हर सरकार की जिम्मेदारी है. SC ने केंद्र को 3 सप्ताह के भीतर योजना तैयार करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि ये आखिरी मौका है. राज्यों के साथ इमरजेंसी मीटिंग कर  योजना तैयार करे केंद्रसुनवाई के दौरान केंद्र पर नाराज़गी जताते हुए CJI एन वी रमना ने कहा था कि हमें अंतरराष्ट्रीय कुपोषण सूचकांक जैसे मुद्दों से सरोकार नहीं है, इसका उद्देश्य तत्काल भूख के मुद्दों पर अंकुश लगाना है.भूख से मरने वाले लोगों की रक्षा करना है. अगर आप भुखमरी से निपटना चाहते हो तो कोई भी संविधान या कानून ना नहीं कहेगा.ये पहला सिद्धांत है.हर कल्याणकारी राज्य की पहली जिम्मेदारी है कि वो भूख से मर रहे लोगों को भोजन मुहैया कराए.आपका हलफनामा कहीं भी यह नहीं दर्शाता है कि आप एक योजना बनाने पर विचार कर रहे हैं. अभी तक आप सिर्फ राज्यों से जानकारी निकाल रहे हैं. आपको योजना के क्रियान्वयन पर सुझाव देने थे, न कि केवल पुलिस जैसी जानकारी एकत्र करने के लिए. कोर्ट ने अंडर सेकेट्री के हलफनामा दाखिल करने पर भी आपत्ति जताई

CJI ने कहा, 'यह आखिरी चेतावनी है जो मैं भारत सरकार को देने जा रहा हूं. आपके अंडर सेकेट्री ने ये हलफनामा क्यों दिया.आपका जिम्मेदार अधिकारी यह हलफनामा दाखिल नहीं कर सकता?हमने कितनी बार कहा है कि जिम्मेदार अधिकारी को हलफनामा दाखिल करना चाहिए.'जस्टिस हिमा कोहली  ने कहा 'आपने 17 पेज का हलफनामा दाखिल किया है न कि इस बारे में कोई कानाफूसी नहीं कि आप इस योजना को कैसे लागू करने जा रहे हैं.' दरअसल, देशभर में सामुदायिक रसोई स्थापित करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की थी.अदालत ने  इस जनहित याचिका पर हलफनामे दायर करने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर छह राज्यों पर पिछले साल 17 फरवरी को पांच-पांच लाख रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया था.यह जुर्माना मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, गोवा और दिल्ली पर लगाया गया था.

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