सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने का काम जल्‍द होगा शुरू, नोएडा अथॉरिटी द्वारा प्रस्‍तावित कंपनी को SC ने दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर डिमोलिशन एजेंसी- 'एडिफिस' के साथ कांट्रेक्ट साइन करने को कहा है. साथ ही  सुपरटेक उन घर खरीदारों के लिए रिफंड प्रक्रिया शुरू करेगा जिनके फ्लैटों को तोड़ा जाएगा.  

सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने का काम जल्‍द होगा शुरू, नोएडा अथॉरिटी द्वारा प्रस्‍तावित कंपनी को SC ने दी मंजूरी

नई दिल्‍ली :

नोएडा के बहुचर्चित सुपरटेक एमरेल्ड कोर्ट ट्विन टावर मामले में अब दोनों टावरों को गिराने का काम जल्द शुरु हो सकेगा. टावरों को गिराने के लिए नोएडा अथॉरिटी द्वारा प्रस्तावित कंपनी  को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर डिमोलिशन एजेंसी- 'एडिफिस' के साथ कांट्रेक्ट साइन करने को कहा है. साथ ही  सुपरटेक उन घर खरीदारों के लिए रिफंड प्रक्रिया शुरू करेगा जिनके फ्लैटों को तोड़ा जाएगा.सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि घर खरीदारों से खाता विवरण मांगा गया है. मंगलवार सुबह से पैसे ट्रांसफर करना शुरू करेंगे. वहीं नोएडा प्राधिकरण ने तोड़फोड़ के लिए एजेंसी को अंतिम रूप देने की सूचना दी. सुपरटेक ने भी कहा कि वो  नोएडा प्राधिकरण द्वारा अंतिम रूप दी गई एजेंसी से सहमत है. 21 जनवरी को मामले में अगली सुनवाई होगी.

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने  फ्लैट खरीदारों को भुगतान न करने पर सुपरटेक को फटकार लगाई थी.  SC ने सुपरटेक को 17 जनवरी तक घर खरीदारों को भुगतान करने का निर्देश दिया था.  सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को यह चेतावनी भी दी थी कि अगर रुपये नहीं लौटाए तो जेल भेज देंगे. अदालत ने नोएडा प्राधिकरण से उस एजेंसी के नाम पर फैसला करने को कहा था जिसे सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट की ट्विन टावरों को गिराने का काम दिया जाएगा. SC ने प्राधिकरण को 17 जनवरी को जवाब देने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुपरटेक से कहा था कि अपने कार्यालय को क्रम में रखें और अदालती आदेश का पालन करें. हम आपके निर्देशकों को अभी जेल भेजेंगे. आप सुप्रीम कोर्ट के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.निवेश की वापसी पर ब्याज नहीं लगाया जा सकता है. कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए आप तमाम तरह के कारण ढूंढ रहे हैं. सुनिश्चित करें कि भुगतान सोमवार तक किया  जाए अन्यथा परिणाम भुगतें.   

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दरअसल घर खरीदारों ने SC में अवमानना ​​याचिका दायर की है, इसमें उन्‍होंने  कहा है कि सुपरटेक हमसे आकर पैसे लेने के लिए कहता है लेकिन वहां जाने के बाद कहते हैं कि हम किश्तों में भुगतान करेंगे. नोएडा में 40 मंजिला ट्विन टावरों को 3 महीने में गिराने  की समय सीमा समाप्त हो गई है, लेकिन अभी ये नहीं किया गया है. 31 अगस्त 2021 को सुपरटेक एमेराल्ड मामले (Supertech Emerald Court Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया था.जस्टिस चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है. इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया. नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था.सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए. साथ ही दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएं . नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद ले. जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए. -कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट खरीदारों को दो महीने में पैसा रिफंड किया जाए.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा. यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है. अवैधता से सख्ती से निपटना होगा.बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित किया जाता है जिसके वे हकदार हैं.  न्यायालय ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का उल्लंघन है. टावरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के खिलाफ है. भवन निर्माण के नियमों का पालन नहीं करने से अग्नि सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन हुआ है. टावरों के निर्माण के लिए हरित क्षेत्र का उल्लंघन किया गया था.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि तोड़फोड़ का कार्य अपीलकर्ता द्वारा नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्च पर किया जाएगा. नोएडा प्राधिकरण केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों और अपने विशेषज्ञों से परामर्श करेगा. तोड़फोड़ का कार्य CBRI के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा. यदि CBRI ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो नोएडा द्वारा एक अन्य विशेषज्ञ एजेंसी को नामित किया जाएगा. विशेषज्ञों को देय शुल्क सहित तोड़फोड़ की लागत और सभी प्रासंगिक खर्च सुपरटेक द्वारा वहन किए जाएंगे. जिनका रिफंड करना है दो महीने में 12 फीसदी ब्याज के साथ रिफंड हो. अपीलकर्ता इस फैसले की प्राप्ति से एक महीने में  RWA को  दो करोड़ रुपये रुपये बतौर हर्जाना देगा.सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक के अधिकारियों पर कार्रवाई का फैसला भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि सक्षम प्राधिकरण कानून के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की इजाजत दे.