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This Article is From Oct 30, 2012

यमुना में प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछे सख्त सवाल

नई दिल्ली: यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की मुहिम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार दिल्ली, यूपी और हरियाणा की सरकारों से सख्त सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर खर्च हुए लगभग साढ़े चार हजार करोड़ रुपये कहां खर्च हुए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा जिन सरकारी एजेंसियों ने करोड़ों रुपये खर्च किए। उसका क्या मकसद था और आखिरकार कितना काम हो पाया। यमुना के प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खुद पहल करते हुए यह नोटिस जारी किया। भारी खर्च के बावजूद यमुना की सफाई में खास प्रगति ना होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज है।

कोर्ट ने कहा कि फैक्टरियों से निकलने वाले कचड़े की सफ़ाई के लिए 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं फिर भी जो पानी यमुना में गिर रहा है वह काफी प्रदूषित है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि यमुना डेवलपमेंट अथॉरिटी ने यमुना की सफाई के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह बताना होगा कि क्या मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ठीक काम कर रहे हैं और कैसे प्रदूषित पानी को सीधे यमुना में गिरने से रोका जा सकता है।

इस सिलसिले में प्रदूषण बोर्ड और जल बोर्ड के इंजीनियर का दो सदस्यों के पैनल को दो हफ्ते में रिपोर्ट सौंपनी है। मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।

दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए सरकार की ओर से अब तक 2072 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। यह ब्यौरा दिल्ली जल बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दिए गए एक हलफनामे में दिया गया है। इस हलफनामे में 1995 से 2012 तक यमुना की सफाई के लिए किए गए खर्च का ब्यौरा है।

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Supreme Court, Yumuna Clean UP, सुप्रीम कोर्ट, यमुना की सफाई, यमुना का प्रदूषण
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