सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
1 फरवरी 2011 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के पास हिमगिरी एक्सप्रेस की छत पर सवार 18 युवकों की मौत हो गई थी, कई युवक गंभीर रूप से घायल हुए थे। सभी युवक ITBP का टेस्ट देने जा रहे थे। इस मामले में फैलसा सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख, हादसे में विकलांग हुए लोगों को 1.5 लाख, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 75 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है।
ऐसे हुआ था हादसा
फरवरी 2011 में बरेली में आईटीबीपी में भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा में शामिल होने के लिए कई युवक हिमगिरी एक्सप्रेस की छत पर चढ़कर यात्रा कर रहे थे। शाहजहांपुर के पास एक फूट ओवर ब्रिज आ गया। कुछ युवक जान बचाने के लिए ट्रेन की छत से नीचे कूद गए वहीं कुछ ब्रिज से टकरा गए। इस हादसे में 18 युवकों की मौत हुई थी वहीं कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना के बाद परिक्षार्थियों ने ट्रेन में आग लगाने के साथ-साथ शाहजहांपुर और बरेली में भारी तोड़फोड़ की थी।
केंद्र सरकार ने यूपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ITBP ने पहले ही पुलिस को भर्ती परीक्षा की सूचना दे दी थी कि इसके लिए ITBP के बरेली सेंटर में एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थी इकट्ठा होंगे लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ऐसे हुआ था हादसा
फरवरी 2011 में बरेली में आईटीबीपी में भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा में शामिल होने के लिए कई युवक हिमगिरी एक्सप्रेस की छत पर चढ़कर यात्रा कर रहे थे। शाहजहांपुर के पास एक फूट ओवर ब्रिज आ गया। कुछ युवक जान बचाने के लिए ट्रेन की छत से नीचे कूद गए वहीं कुछ ब्रिज से टकरा गए। इस हादसे में 18 युवकों की मौत हुई थी वहीं कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना के बाद परिक्षार्थियों ने ट्रेन में आग लगाने के साथ-साथ शाहजहांपुर और बरेली में भारी तोड़फोड़ की थी।
केंद्र सरकार ने यूपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ITBP ने पहले ही पुलिस को भर्ती परीक्षा की सूचना दे दी थी कि इसके लिए ITBP के बरेली सेंटर में एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थी इकट्ठा होंगे लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और फरवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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