सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बच्‍चे को केन्‍या से भारत वापस लाने का CBI को दिया निर्देश

अदालत ने फैसला सुनाया कि बच्चे के पिता ने "धोखाधड़ी से" गुमराह करके बच्चे की कस्टडी प्राप्त की थी और केन्या ले गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिता को अवमानना ​​का नोटिस भी दिया है.  

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बच्‍चे को केन्‍या से भारत वापस लाने का CBI को दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पिता को अवमानना ​​का नोटिस भी दिया है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का बड़ा कदम उठाते CBI को केन्या से एक बच्चे को भारत वापस लाने का निर्देश दिया है, साथ ही पिता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं. मामले में पिता को अवमानना नोटिस भी जारी किया गया है. दरअसल, इस मामले में अदालत को गुमराह करबच्चे की कस्टडी  ले ली गई थी. SC का  यह फैसला एक दंपति के बीच 11 साल के लड़के को लेकर कस्टडी की 'लड़ाई' के संबंध में आया है. अदालत ने फैसला सुनाया कि बच्चे के पिता ने "धोखाधड़ी से" गुमराह करके बच्चे की कस्टडी प्राप्त की थी और केन्या ले गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिता को अवमानना ​​का नोटिस भी दिया है.  

दरअसल, पेरी और स्मृति कंसाग्रा ने 2007 में शादी की और अप्रैल 2012 से अलग रह रहे हैं. केन्या और यूनाइटेड किंगडम की दोहरी नागरिकता प्राप्त बच्चा भारत का एक प्रवासी नागरिक है. पिछले साल 28 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने उसके भारतीय मूल के पिता पेरी कंसाग्रा को बेटे की स्थायी कस्टडी प्रदान की थी जिसके पास केन्याई पासपोर्ट है. अदालत ने इस शर्त पर कस्‍टडी दी थी कि पिता केन्याई अदालत से "मिरर ऑर्डर" प्राप्त करेगा , जो माता-पिता - पेरी और स्मृति के बीच हुई शर्तों और आश्वासनों को दर्शाए. पेरी कंसाग्रा को इस मिरर ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करने का निर्देश दिया गया था. दो महीने बाद दिसंबर 2020 में पेरी कंसाग्रा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 9 नवंबर, 2020 को केन्याई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला दर्ज किया था लेकिन इसी साल 19 अगस्त को मां के वकील ने कोर्ट को बताया कि केन्या के हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया है. 

बच्चा अब भारतीय अधिकार क्षेत्र से बाहर है और पिता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन किया है. कोर्ट ने भारत सरकार से मदद मांगी थी और केन्या के साथ राजनयिक स्तर पर मामले को उठाने के लिए कहा था.सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया था कि विदेश सचिव इस मुद्दे से निपटने की स्थिति में होंगे. अब मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने आदेश दिया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो, अपने निदेशक के माध्यम से पेरी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही दर्ज करके उचित कार्यवाही शुरू करेगी और  बेटे आदित्य की कस्टडी  सुरक्षित कर  स्मृति को सौंपेगी.विदेश मंत्रालय के सचिव और केन्या में भारतीय दूतावास को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि आदित्य की कस्टडी हासिल करने के लिए स्मृति को हर संभव सहायता प्रदान की जाए. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पेरी द्वारा "झूठे और कपटपूर्ण ज्ञापन" किए गए और उसने "अदालत के साथ धोखाधड़ी" की.सुप्रीम कोर्ट ने पेरी को आदित्य की कस्टडी देने वाले अपने आदेशों को वापस ले लिया और हिरासत को "अवैध" घोषित कर दिया.कोर्ट ने पिता को अवमानना ​​का नोटिस भी जारी किया है. साथ ही रजिस्ट्री को कहा है कि पिता द्वारा जमा एक करोड़ रुपये की सुरक्षा राशि में से 25 लाख रुपये अदालती खर्च के तौर पर मां को दिए जाएं. 

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