सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि कोच्चि के तटीय क्षेत्र पर बने मरदु फ्लैटों को केरल सरकार द्वारा दी गई समय सीमा के अनुसार 138 दिनों में गिरा दिया जाए. न्यायालय ने हर प्रभावित मरदु फ्लैट मालिक को चार सप्ताह में अंतरिम मुआवजे के तौर पर 25-25 लाख रुपए राज्य सरकार द्वारा दिए जाने का भी आदेश दिया. इमारत गिराए जाने की निगरानी और कुल मुआवजे का मूल्यांकन करने के लिए न्यायालय ने उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की एक सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की पीठ ने कोच्चि के तटीय जोन इलाकों में अवैध इमारतों के निर्माण में शामिल बिल्डरों और प्रमोटरों की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि सरकार अवैध रूप से इमारत बनाने वाले बिल्डरों और प्रमोटरों से अंतरिम मुआवजा राशि वसूल करने पर विचार कर सकती है.
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इससे पहले 25 अक्टूबर को ही केरल पुलिस ने मरदु में तटीय क्षेत्र नियमन कानून (सीआरजेड) का उल्लंघन कर अपार्टमेंट बनाने के मामले में तीन बिल्डरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन अपार्टमेंट को गिराने का आदेश दिया जिसके बाद फ्लैट मालिकों ने पुलिस में बिल्डरों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया. इमारतों को गिराने के न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने पर शीर्ष अदालत द्वारा खिंचाई किये जाने के कुछ दिन बाद केरल सरकार ने मरदु के निकट स्थित चार अपार्टमेंट परिसरों को ध्वस्त करने के लिये कदम उठाने शुरू कर दिये हैं.
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पुलिस ने मरदु नगर पालिका क्षेत्र में सीआरजेड का उल्लंघन कर अपार्टमेंट बनाने के आरोपी तीन बिल्डरों के करीब 60 बैंक खाते भी सील कर दिए हैं. शहर के पुलिस आयुक्त और महानिरीक्षक विजय साखरे ने बताया कि अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की शिकायत पर तीनों बिल्डरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वास हनन) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि जांच के तहत एच2ओ होली फेथ, अल्फा सीरीन और जैन कोरल कोव के करीब 60 खातों को सील किया गया है. हालांकि, गोल्डन कायलोरम के बिल्डर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि उसके खिलाफ शिकायत नहीं मिली है.
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