पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को फिलहाल राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने भट्ट की उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की याचिका को 6 हफ्ते के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई भट्ट की उस पुनर्विचार याचिका के फैसले के बाद होगी जिसमें उन्होंने 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल किया था. इस फैसले में अदालत ने ट्रायल को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए थे.
दरअसल भट्ट के वकील कपिल सिब्बल ने सुझाव दिया कि अदालत के लिए पहले जून 2019 के आदेश के खिलाफ लंबित पुनर्विचार याचिका पर विचार करना बेहतर है, जिसने ट्रायल में अतिरिक्त गवाहों की जांच के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा 1990 में हिरासत में मौत के केस में उनकी सजा को निलंबित करने के लिए दायर याचिका पर आदेश दिया है. संजीव भट्ट को जामनगर में सत्र न्यायालय द्वारा जून 2019 में नवंबर 1990 में जामजोधपुर निवासी प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत के लिए आजीवन कारावास से गुजरने का निर्देश दिया गया था.
2011 में 2002 के दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने वाले अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था और वर्तमान में वह पालनपुर जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उनकी सजा निलंबित करने के गुजरात हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती दी गई है. अक्टूबर 2019 में, गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने अदालतों का कम सम्मान किया है और जानबूझकर अदालतों को गुमराह करने की कोशिश की थी.
देखें वीडियो: पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा
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