सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मानसिक रोग से मुक्त हुए लोगों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार को कारगर नीति बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि जो रोगी पूरी तरह स्वस्थ्य हो चुके हैं उन्हें मानसिक अस्पताल में रखना दुःखद है. केंद्र सरकार 8 हफ्तों के भीतर नीति बनाकर कोर्ट के सामने पेश करे, जिससे सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों को लागू करने को कहेगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है ऐसे लोगों के प्रति उदासीन रवैया ठीक नहीं. केंद्र सरकार ने इस मामले में कहा कि ऐसे लोगों के लिए फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है ऐसे में नीति बनाने के लिए 8 हफ्ते का समय दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट देश के पागल खानों में रह रहे मानसिक रूप से ठीक हो चुके पुरुष व महिलाओं के पुनर्वास की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. एक जनहित याचिका में कहा गया है कि इन राज्यों में करीब 300 लोग ऐसे हैं जो ठीक हो गए हैं लेकिन वे मानसिक रोग अस्तपताल में ही हैं. पेश मामले में अधिवक्ता गौरव बंसल ने याचिका दायर की है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने बीते दिनों उत्तर प्रदेश के बरेली शहर स्थित एक पागल खाना में विजिट किया था. उसे जानकारी मिली कि वहीं पर 70-80 पुरुष व महिलाएं ऐसे हैं जो ठीक हो गए हैं, मगर उनके परिजन उन्हें वापस लेने ही नहीं आए. ऐसे में वो वहां इलाज करा रहे पागल लोगों के साथ ही रह रहे हैं.
कुछ ऐसी ही स्थिति देश के कई अन्य पागल खानों की भी है. ऐसे में इस मामले को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए जाएं और पागलखानों में ठीक हो चुके लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार को निर्देश जारी किए जाएं, जिससे कि पागल खानों में जिन लोगों के परिजन उन्हें मिलने या लेने नहीं आते, उनके लिए कुछ बेहतर किया जा सके और उन्हें फिर से समाज से जोड़ने का काम किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट देश के पागल खानों में रह रहे मानसिक रूप से ठीक हो चुके पुरुष व महिलाओं के पुनर्वास की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. एक जनहित याचिका में कहा गया है कि इन राज्यों में करीब 300 लोग ऐसे हैं जो ठीक हो गए हैं लेकिन वे मानसिक रोग अस्तपताल में ही हैं. पेश मामले में अधिवक्ता गौरव बंसल ने याचिका दायर की है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने बीते दिनों उत्तर प्रदेश के बरेली शहर स्थित एक पागल खाना में विजिट किया था. उसे जानकारी मिली कि वहीं पर 70-80 पुरुष व महिलाएं ऐसे हैं जो ठीक हो गए हैं, मगर उनके परिजन उन्हें वापस लेने ही नहीं आए. ऐसे में वो वहां इलाज करा रहे पागल लोगों के साथ ही रह रहे हैं.
कुछ ऐसी ही स्थिति देश के कई अन्य पागल खानों की भी है. ऐसे में इस मामले को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए जाएं और पागलखानों में ठीक हो चुके लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार को निर्देश जारी किए जाएं, जिससे कि पागल खानों में जिन लोगों के परिजन उन्हें मिलने या लेने नहीं आते, उनके लिए कुछ बेहतर किया जा सके और उन्हें फिर से समाज से जोड़ने का काम किया जा सके.
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