प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
लोन डिफॉल्टर के मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि इन लोन डिफॉल्टरों के नाम सावर्जनिक करने से कोई मकसद हल नहीं होगा. हमें यह देखना है कि इस समस्या की जड़ कहां है और इससे कैसे निपटा जा सकता है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने को कहा है कि उसके पास लोन रिकवरी के लिए क्या एक्शन प्लान है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र की एक्सपर्ट कमेटी जो इस पर विचार कर रही है, उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अगला कदम उठाएंगे. अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने खुलासा किया था कि देश में बैंकों से 500 करोड़ और उससे ज्यादा लोन लेकर डिफॉल्टर होने वाले 57 लोगों पर 85 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है. अगर 500 करोड़ से कम के डिफॉल्टरों की बात करेंगे तो ये एक लाख करोड़ होगा.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सुनवाई के दौरान कहा था कि 500 करोड़ और ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों के नाम सावर्जनिक हों या नहीं.. ये सुप्रीम कोर्ट तय करेगा.
दरअसल, 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 500 करोड़ और उससे ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों की लिस्ट मांगी थी और इसी के तहत RBI ने सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ये लिस्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, जबकि RBI ने कहा कि लिस्ट के नाम गुप्त रहने चाहिए, क्योंकि ज्यादातर डिफॉल्टर विलफुल डिफॉल्टर नहीं हैं. ऐसे में ये नाम पब्लिक होते हैं तो नियमों के खिलाफ होगा, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि ये लोग बैंकों का पैसा लेकर वापस नहीं कर रहे. ऐसे लोगों के नाम सार्वजनिक होते हैं तो इसमें डिफॉल्टरों के अलावा किसी पर क्या असर पड़ेगा?
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने खुलासा किया था कि देश में बैंकों से 500 करोड़ और उससे ज्यादा लोन लेकर डिफॉल्टर होने वाले 57 लोगों पर 85 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है. अगर 500 करोड़ से कम के डिफॉल्टरों की बात करेंगे तो ये एक लाख करोड़ होगा.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सुनवाई के दौरान कहा था कि 500 करोड़ और ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों के नाम सावर्जनिक हों या नहीं.. ये सुप्रीम कोर्ट तय करेगा.
दरअसल, 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 500 करोड़ और उससे ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों की लिस्ट मांगी थी और इसी के तहत RBI ने सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ये लिस्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, जबकि RBI ने कहा कि लिस्ट के नाम गुप्त रहने चाहिए, क्योंकि ज्यादातर डिफॉल्टर विलफुल डिफॉल्टर नहीं हैं. ऐसे में ये नाम पब्लिक होते हैं तो नियमों के खिलाफ होगा, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि ये लोग बैंकों का पैसा लेकर वापस नहीं कर रहे. ऐसे लोगों के नाम सार्वजनिक होते हैं तो इसमें डिफॉल्टरों के अलावा किसी पर क्या असर पड़ेगा?
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