सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात में IPS पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी DGP बनाने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका पर यह नोटिस दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं, लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है.
इससे तमाम केसों की जांच के वह प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं. ऐेसे में वह केसों को प्रभावित करेंगे इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ में सेवानिवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले में अभी गवाही बाकी है. इस स्थिति में पुलिस महानिदेशक जो स्वयं इस मामले में आरोपी हैं, का प्रभाव निश्चित रूप से गवाहों और अधीनस्थ अधिकारियों को प्रभावित करने वाला है. रिबेरो ने इस नियुक्ति को न्याय हित और लोकहित के विपरीत बताया है. गुजरात के डीजीपी पीसी ठाकुर को अप्रैल 2016 में दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के लिए केवल 7 माह का समय शेष था और उसके बाद पीपी पांडे को कार्यकारी डीजीपी बनाने के आदेश जारी हुए. पांडे की सेवानिवृत्ति के लिए भी केवल 9 माह का समय शेष था.
याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले को रफा-दफा करने और पांडे को डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने जानबूझकर यह आदेश दिया है. सीबीआई के आरोप पत्र में पुलिस अधिकारियों के जो बयान है. वह सभी अधिकारी पांडे के नियंत्रण में होंगे. इससे आपराधिक प्रकरण में असर पड़ना तय है.
इससे तमाम केसों की जांच के वह प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं. ऐेसे में वह केसों को प्रभावित करेंगे इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ में सेवानिवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले में अभी गवाही बाकी है. इस स्थिति में पुलिस महानिदेशक जो स्वयं इस मामले में आरोपी हैं, का प्रभाव निश्चित रूप से गवाहों और अधीनस्थ अधिकारियों को प्रभावित करने वाला है. रिबेरो ने इस नियुक्ति को न्याय हित और लोकहित के विपरीत बताया है. गुजरात के डीजीपी पीसी ठाकुर को अप्रैल 2016 में दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के लिए केवल 7 माह का समय शेष था और उसके बाद पीपी पांडे को कार्यकारी डीजीपी बनाने के आदेश जारी हुए. पांडे की सेवानिवृत्ति के लिए भी केवल 9 माह का समय शेष था.
याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले को रफा-दफा करने और पांडे को डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने जानबूझकर यह आदेश दिया है. सीबीआई के आरोप पत्र में पुलिस अधिकारियों के जो बयान है. वह सभी अधिकारी पांडे के नियंत्रण में होंगे. इससे आपराधिक प्रकरण में असर पड़ना तय है.
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