सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
देश में बाघों की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, नेशनल बोर्ड ऑफ़ वाइल्डलाइफ (NBWL), पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (NTCA) को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में अनुपम त्रिपाठी ने जनहित याचिका दाखिल कर मांग की है कि बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्र में रह रहे लोगों को किसी दूसरे स्थान पर शिफ़्ट किया जाए.
याचिका में कहा गया है कि बाघों का लगातार शिकार किया जा रहा है. बाघों का शिकार या तो वहां स्थानीय निवासी, सुरक्षा गार्ड या अवैध शिकारी कर रहे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि बाघ अक्सर रिहायशी इलाकों में चले जाते हैं और वहां स्थानीय लोगों के मवेशियों को मार कर खा जाते हैं. यही वजह है कि वहां के स्थानीय निवासी बाघों को मार देते हैं.
यह भी पढ़ें - बाघों के संरक्षण में शिकारी बने हुए हैं खतरा : हर्षवर्धन
याचिका में कहा गया है कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी के डाटा के मुताबिक, जनवरी से अगस्त 2015 में 41 बाघों का शिकार किया गया. वहीं, 2016 में 74 बाघों की मौत हुई. याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले 15 सालों में 1200-1400 बाघों के शिकार किये गये हैं.
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याचिका में कहा गया है कि बाघों का लगातार शिकार किया जा रहा है. बाघों का शिकार या तो वहां स्थानीय निवासी, सुरक्षा गार्ड या अवैध शिकारी कर रहे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि बाघ अक्सर रिहायशी इलाकों में चले जाते हैं और वहां स्थानीय लोगों के मवेशियों को मार कर खा जाते हैं. यही वजह है कि वहां के स्थानीय निवासी बाघों को मार देते हैं.
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याचिका में कहा गया है कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी के डाटा के मुताबिक, जनवरी से अगस्त 2015 में 41 बाघों का शिकार किया गया. वहीं, 2016 में 74 बाघों की मौत हुई. याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले 15 सालों में 1200-1400 बाघों के शिकार किये गये हैं.
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