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This Article is From Aug 07, 2020

केंद्र सरकार ने SC में कहा, 'मीडिया को तब्‍लीगी जमात के मुद्दे पर रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकते'

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मीडिया को जमात (Tablighi Jamaat) के मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते. यह प्रेस की स्वतंत्रता का मामला है.

केंद्र सरकार ने SC में कहा, 'मीडिया को तब्‍लीगी जमात के मुद्दे पर रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकते'
तब्‍लीगी मरकज से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
इस मामले में प्रेस की आजादी का दिया हवाला
जमीयत और अन्‍य संगठनों ने दाखिल की है याचिका
कोरोना मामले में मीडिया कवरेज को दुर्भावनापूर्ण बताया है
नई दिल्ली:

तब्लीगी मरकज़ मामले की मीडिया रिपोर्टिंग को झूठा और सांप्रदायिक बताने वाली जमीयत और दूसरे संगठनों की याचिका परसुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)में सुनवाई हुई. इस दौरान अपना पक्ष पेश करते हुए केंद्र ने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला दिया और मसले को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBSA) के पास भेजने की सलाह दी. न्यूज़ चैनलों के खिलाफ शिकायतों को देखने वाली इस संस्था के अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज एके सीकरी हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि NBSA और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI)की रिपोर्ट देखने के बाद आगे सुनवाई होगी. NBSA की और से बताया गया कि उसे करीब 100 शिकायतें मिली हैं और PCI की ओर से बताया गया कि इस संबंध में मिली 50 शिकायतों पर विचार किया जा रहा है. मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मीडिया को जमात (Tablighi Jamaat) के मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते. यह प्रेस की स्वतंत्रता का मामला है. मरकज के बारे में अधिकांश रिपोर्टें गलत नहीं थीं. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि लोगों को कानून और व्यवस्था के मुद्दों को भड़काने न दें. ये ऐसी चीजें हैं जो बाद में कानून और व्यवस्था का मुद्दा बन जाती हैं. अदालत ने केंद्र, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को जवाब देने के लिए 2 सप्ताह दिए थे कि उन्होंने क्या कार्रवाई की है

.कोर्ट ने न्यूज चैनलों द्वारा केबल टेलीविजन (विनियमन) अधिनियम के कथित उल्लंघन पर विशिष्ट जवाब मांगा है. सुनवाई में तब्‍लीगी जमात पर जमीयत-उलेमा-हिंद को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी. CJI ने कहा था कि हम प्रेस ओर पाबंदी नहीं लगा सकते. याचिकाकर्ता जमीयत-उलेमा-हिंद  के वकील एजाज़ मकबूल ने मीडिया पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया था. CJI ने कहा था कि आप प्रेस काउंसिल को पक्ष बनाइए. गौरतलब है कि जमीयत-उलेमा-हिंद ने मरकज़ मामले की मीडिया कवरेज को दुर्भावना भरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, इसमें कहा गया है कि मीडिया गैरजिम्मेदारी से काम कर रहा है. मीडिया ऐसा दिखा रहा है जैसे मुसलमान कोरोना फैलाने की मुहिम चला रहे हैं और कोर्ट इस पर रोक लगाए. मीडिया और सोशल मीडिया में झूठी खबर फैलाने वालों पर कार्रवाई का आदेश दे.

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