प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
इच्छा मृत्यु यानी लिविंग विल पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने लिविंग विल में पैसिव यूथेनेशिया को इजाजत दी है. संविधान पीठ ने इसके लिए सुरक्षा उपायों के लिए गाइडलाइन जारी की है. पैसिव यूथेनेशिया और लिविंग विल को लेकर संवैधानिक पीठ ने अपने 538 पेज के फैसले में विस्तार से बताया है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ये भी साफ कर दिया कि आपात स्थिति या बेहद ज़रूरी नाजुक हालत में जब मरीज़ की हालत बेहद गम्भीर खतरे में हो तभी चिकित्सा उपकरण हटाने के लिए सहमति ली जाए.
लिविंग विल की प्रक्रिया
लिविंग विल को लेकर कैसे होगी कार्यवाही
VIDEO : इच्छामृत्यु के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मापदंडों के साथ दी इजाजत
हॉस्पिटल का मेडिकल बोर्ड अगर इनकार करे तो क्या कर सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ये भी साफ कर दिया कि आपात स्थिति या बेहद ज़रूरी नाजुक हालत में जब मरीज़ की हालत बेहद गम्भीर खतरे में हो तभी चिकित्सा उपकरण हटाने के लिए सहमति ली जाए.
लिविंग विल की प्रक्रिया
- कोई भी बालिग व्यक्ति जो दिमागी रूप से स्वास्थ्य हो, अपनी बात को रखने में सक्षम हो और इस विल के नतीजे को जानता हो, यह विल लिख सकता है.
- वही व्यक्ति यह विल कर सकता है जो बिना किसी दबाव, किसी मजबूरी और बिना किसी प्रभाव के हो.
- व्यक्ति को लिविंग विल को लेकर यह बताना होगा कि किस स्थिति में मेडिकल ट्रीटमेंट बंद किया जाए. यह ब्यौरा व्यक्ति को लिखित में देना होगा ताकि जीवन और मौत के बीच दर्द, लाचारी और पीड़ा लंबी न खिंचे एवं मौत गरिमाहीन ढंग से न हो.
- यह भी लिखा होना चहिए कि लिविंग विल को लिखने वाले को नतीजा पता हो और अभिभावक और संबंधी का नाम लिखा हो. जब वह फैसला लेने की स्थिति में न हो तो उसकी जगह पर कौन फैसला ले, उसका नाम लिखे.
- किसी ने एक से ज्यादा लिविंग विल की हो तो आखिरी विल मान्य होगी. लिविंग विल को बनाते समय दो गवाहों की जरूरत होगी. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास के सामने ये लिविंग विल लिखी जाएगी.
लिविंग विल को लेकर कैसे होगी कार्यवाही
- जब लिविंग विल लिखने वाला लाइलाज बीमारी का शिकार हो जाए तो घरवाले डॉक्टर को बताएंगे.
- डॉक्टर इसको ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट से कन्फर्म करेंगे लिविंग विल वाले डाक्यूमेंट्स
- जब डॉक्टर को यह भरोसा हो जाएगा कि अब यह व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता और वह केवल लाइफ सपोर्ट पर ही जीवित रहेगा तब मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा.
- मेडिकल बोर्ड में तीन फील्ड के एक्सपर्ट होंगे जो घरवालों से बातचीत कर यह तय करेंगे कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जाय या नहीं
- बोर्ड अपने फैसले के बारे में इलाक़े के DM को सूचित करेंगे. DM फिर इसमें एक बोर्ड बनाएगा. तीन सदस्यीय बोर्ड का गठन होगा और फिर बोर्ड अपनी रिपोर्ट ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को बताएगा. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रोगी के पास जाएगा और मुआयना करके घरवालों से बातचीत करेगा. इसमें यह पूछेगा कि लिविंग विल को लागू किया जाए या नहीं.
VIDEO : इच्छामृत्यु के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मापदंडों के साथ दी इजाजत
हॉस्पिटल का मेडिकल बोर्ड अगर इनकार करे तो क्या कर सकते हैं?
- शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ लिविंग विल करने वाले व्यक्ति की इच्छा के मुताबिक बेहद नाजुक हालत में मौत देने से चिकित्सक इनकार करें तब परिजन हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे.
- हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एक डिवीजन बेंच का गठन करेगा जो इस मामले में परिजनों की दलील सुनेगा.
- डिवीजन बेंच फिर मेडिकल बोर्ड बनाएगा. हाई कोर्ट इस पर जल्द फैसला लेगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं