
- पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं, बल्कि इसपर प्राइस कैप लगाया है, जिसका भारत पालन करता है.
- रूस से सबसे अधिक तेल चीन खरीदता है, भारत इसका प्रमुख खरीदार नहीं है, यूरोपीय संघ और तुर्की भी खरीदारी करते हैं
- भारत रूस से रिफाइन किया हुआ पेट्रोलियम उत्पाद नहीं खरीदता, जबकि तुर्की, चीन और ब्राजील इसके बड़े खरीदार हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों भारत पर बड़े-बड़े इल्जाम लगा रहे हैं. उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में उसके जंग की फंडिंग करने का आरोप लगाया है. उन्होंने इस वजह से भारत पर टैरिफ को 25 प्रतिशत से भी और अधिक बढ़ाने की धमकी दी है. तो सवाल है क्या सचमुच भारत ही यूक्रेन में जंग लड़ने के लिए रूस की फंडिंग कर रहा है? ट्रंप के इस सफेद झूठ और दोहरे स्टैंड की सच्चाई आपको हम 9 सवाल-जवाब की मदद से आसान और सीधे तरीके से देते हैं. यह जानकारी हमें इंडस्ट्री के सूत्रों ने दी है.
सवाल नंबर 1: क्या पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध (सैंक्शंस) लगाए हैं?
जवाब- नहीं, एकदम नहीं. रूसी तेल पर ईरानी या वेनेजुएला के तेल की तरह कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. प्रतिबंध की जगह G7 देशों या EU ने इसपर प्राइस कैप लगा रखा है, यानी उसकी उच्चतम मूल्य तय कर दी है. इस वजह से रूस का तेल बाजार में उपलब्ध तो है लेकिन इससे होने वाली रूस की कमाई सीमित हो जाती है. भारत उस मूल्य सीमा का पालन करता है.
सवाल नंबर 2: तो अगर भारत रूस से तेल खरीद रहा तो बवाल क्यों मचा है?
जवाब- क्योंकि ये पश्चिमी देश चाहते हैं कि यूक्रेन में रूस के जंग जारी रहने का दोष भारत के ऊपर आए, जबकि वे चुपचाप रूस से खुद खरीदारी भी करते रहें.
सवाल नंबर 3: रूसी से सबसे अधिक कच्चा तेल कौन खरीदता है?
जवाब- दिसंबर 2022 से लेकर जुलाई 2025 तक, रूस से सबसे अधिक उर्जा खरीद चीन ने की है. भारत अकेला उससे नहीं खरीदता है और वो सबसे अधिक खरीदारी करने वाला देश तो कतई नहीं है.
- चीन- रूस के कच्चे तेल के निर्यात का 47%
- भारत- 36%
- यूरोपीय संघ- 6%
- तुर्की- 6%
सवाल नंबर 4: क्या भारत रूसी गैस का सबसे बड़ा खरीदार है?
जवाब- एकदम नहीं. रूस से व्यापार करने का सबसे बड़ा आलोचक यूरोपीय संघ ही खुद रूसी गैस का नंबर 1 खरीदार है. अकेले जून 2025 में, इस संघ के देशों ने €1.2 बिलियन से अधिक की खरीदारी की है. इनमें से भी मुख्य खरीदार फ्रांस, हंगरी, नीदरलैंड और स्लोवाकिया हैं.
सवाल नंबर 5: भारत रूस से पेट्रोलियम उत्पाद की कितनी खरीद करता है?
जवाब- रत्ती भर भी नहीं. भारत रूस से रिफाइन किया हुआ फ्यूल नहीं खरीदता है. लेकिन तुर्की (जो नाटो का सदस्य है) इसका 26% हिस्सा खरीदता है. चीन और ब्राजील भी रूस से पेट्रोलियम उत्पाद के प्रमुख खरीदार हैं. वहीं इन सबके उलट भारत रूस से कोई पेट्रोलियम उत्पाद नहीं खरीदता है.
सवाल नंबर 6- क्या भारत वैश्विक नियमों का उल्लंघन कर रहा है?
जवाब- नहीं, एकदम नहीं! भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों के माध्यम से रूसी तेल की खरीदारी करता है, सीधे रूस के सरकारी संस्थाओं से नहीं. भारत G7 द्वारा लगायी गई सीमा (प्राइस कैप) से नीचे रहता है, वैध शिपिंग और बीमा का उपयोग करता है, और सभी वैश्विक मानदंडों का पालन करता है. यानी सब कुछ कानूनी है. हर नियम-कानून का पालन किया गया है.
सवाल नंबर 7- अगर भारत आज रूसी तेल की खरीदारी बंद कर दे तो क्या होगा?
जवाब- तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं. यह सिर्फ भारत के लिए ही बुरा नहीं है, यह वैश्विक स्तर पर एक फ्यूल शॉक होगा.
सवाल नंबर 8- क्या भारत यह खरीदारी सिर्फ अपने हित के लिए कर रहा?
जवाब- नहीं, भारत की इस भूमिका ने सभी के लिए कीमतें स्थिर रखीं. यही बात आज भारत की आलोचना करने वाला अमेरिका भी यह बात बोल चुका है. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने नवंबर 2022 में कहा था, "हम इस बात से खुश हैं कि भारत तेल खरीदता रहेगा." 2024 में तात्कालिक अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन के ऊर्जा सलाहकार ने कहा था, "भारत ने वैश्विक बाजारों को स्थिर करने में मदद की है." मई 2024 में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा था, "भारत ने डिलीवरी (अपनी भूमिका निभाई) की. कीमतें नहीं बढ़ीं."
सवाल नंबर 9: पश्चिम के दोहरे मापदंड के बारे में क्या?
जवाब- अमेरिका अब भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, फर्टिलाइजर और रसायन आयात करता है. यूरोपीय संघ अभी भी हंगरी, स्लोवाकिया और चेक गणराज्य में पाइपलाइनों के माध्यम से रूसी कच्चे तेल का आयात करता है. जापान को 2026 तक छूट मिली है. रूस के लिए EU के 18वां प्रतिबंध पैकेज में यूके, कनाडा, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के लिए अपवाद बनाए गए हैं.
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