यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे MP के जिला जज को SC से राहत नहीं, कार्रवाई में दखल नहीं देगा कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक जिला जज के खिलाफ जूनियर न्यायिक अधिकारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है.

यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे MP के जिला जज को SC से राहत नहीं, कार्रवाई में दखल नहीं देगा कोर्ट

MP जिला जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई में दखल नहीं देगा SC.

नई दिल्ली:

यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे मध्य प्रदेश के जिला जज को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जूनियर न्यायिक अधिकारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है.

उच्चतम न्यायालय के दबाव में जज ने अपनी याचिका वापिस ले ली है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच ने उन्हें जांच के लिए पेश होने की स्वतंत्रता दी है. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे याचिका पर सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि 'हम इस तरह से यौन उत्पीड़न के मामलों को कारपेट के नीचे दबाने की अनुमति नहीं दे सकते.'

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पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, 'आप बहुत महीन बर्फ पर चल रहे हैं, किसी भी समय गिर सकते हैं. आपके पास जांच में एक मौका हो सकता है.' शीर्ष अदालत ने उन्हें जांच में भाग लेने के लिए की स्वतंत्रता के साथ याचिका को वापस लेने की अनुमति दी है. 

बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पीठ के समक्ष शिकायतकर्ता महिला अधिकारी को याचिकाकर्ता की ओर से भेजे गए वॉट्सऐप संदेशों को पढ़ा गया था. इससे सहमत होते हुए, पीठ ने मौखिक रूप से कहा था कि एक जूनियर अधिकारी के साथ फ्लर्ट करना एक जज के लिए स्वीकार्य आचरण नहीं है. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम थे. 

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