1984 सिख विरोधी हिंसा में सुप्रीम कोर्ट ने त्रिलोकपुरी मामले में दोषी ठहराए गए 15 लोगों को बरी कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले नवम्बर में इन लोगों के दोषी होने और निचली अदालत से मिली सज़ा को सही ठहराया था और पांच साल की सजा बरकरार रखी थी. सज़ायाफ्ता लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और निचली अदालत के फैसले को पलट दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इनके खिलाफ दंगों में शामिल रहने के न तो सीधे सबूत मिले और ना ही गवाहों ने उनकी पहचान की. लिहाज़ा इन्हें बरी किया जाए. 28 नवंबर 2018 को 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुये दंगों के सिलसिले में दायर 88 दोषियों की सजा बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी दोषियो की सजा को बरकरार रखा था. 22 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया था.
निचली अदालत ने 1996 में पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. इस मामले में 95 शव बरामद हुये थे लेकिन किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुये थे. इनके खिलाफ 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप था. उस हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों की मौत हो गई थी और करीब सौ घरों को जला दिया गया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और फिर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
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