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This Article is From May 30, 2017

बिलकिस बानो केस : सुप्रीम कोर्ट ने IPS आरएस भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार

2002 के गुजरात के बिलकिस बानो रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार IPS अफसर RS भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के दोषी करार देने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

बिलकिस बानो केस : सुप्रीम कोर्ट ने IPS आरएस भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार
नई दिल्ली: 2002 के गुजरात के बिलकिस बानो रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार IPS अफसर RS भगोरा की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के दोषी करार देने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि पहले ही भगोरा जेल से रिहा हो चुका है क्योंकि वह सजा काट चुका है इसलिए मामले में कोई अर्जेंसी नहीं है. फिलहाल हाईकोर्ट के दोषी करार देने के फैसले पर रोक नहीं लगाएंगे.  भगोरा को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने उसे दोषी करार दिया था, हालांकि कोर्ट ने जितनी सजा काटी, उसे काफी बताया था और 15 हजार का जुर्माना किया था. भगौरा ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी. 

4 मई 2017 को बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की अपील खारिज कर दी थी. कोर्ट ने इन दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी हालांकि, कोर्ट ने सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कुछ दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की गई थी. कोर्ट ने भगौरा समेत छह लोगों को बरी किए जाने के फैसले को भी पलट दिया. इनमें डॉक्टर और पुलिसवाले शामिल हैं. इनपर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है.

2002 में गुजरात दंगों के दौरान 19 साल की बिलकिस का बलात्कार किया गया. उस वक्त वह 5 महीने की गर्भवती थीं. अपराधियों ने बिलकिस के परिवार के लोगों की हत्या की. दंगों के दौरान बिलकिस नीमखेड़ा में रहती थी. वह हालात खराब होने के बाद परिजनों के साथ वहां से जा रही थी, जब दंगाइयों ने उन्हें पकड़ लिया. बिलकिस के आरोपों के मुताबिक- वे सबको मार रहे थे, मुझे भी मारा और कुछ देर बाद मैं बेहोश हो गई. जब मैं होश में आई तो  निर्वस्त्र थी. बच्ची की लाश पास ही रखी थी और जितने लोग थे वे मिल नहीं रहे थे. दंगाइयों ने उन्हें भी शायद इसलिए छोड़ दिया कि वह मर गई हैं. जब वह पुलिस के पास गईं तो उन्हें कोई मदद नहीं मिली. पुलिसवालों ने उन्हें यह कहकर डराया कि हम डॉक्टर के पास ले जाएंगे वह तुमको जहर की सूईं दे देगा. वहीं दो डॉक्टरों ने भी कोई मदद नहीं की और गलत रिपोर्ट भी दी. इसके बाद बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. कोर्ट ने यह मामला सीबीआई को सौंपा था और इसका ट्रायल भी गुजरात के बाहर कर दिया था. इस लड़ाई के दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अलग-अलग रिश्तेदारों के यहां उन्हें मदद लेनी पड़ी, क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता था.

बिलकिस बानो केस 
2002 : गुजरात दंगों के दौरान 19 साल की बिलकिस का बलात्कार 
पीड़ित उस वक्त 5 महीने की गर्भवती थी
अपराधियों ने बिलकिस के परिवार के 14 लोगों की हत्या की 
25 मार्च 2003: मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सबूतों के आभाव में केस बंद किया
दिसंबर 2003: सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए 
अगस्त 2004: निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामला मुंबई ट्रायल कोर्ट को सौंपा 
जनवरी 2008: 12 लोग बलात्कार, हत्या के लिए दोषी करार 
जनवरी 2008: 2 डॉक्टर और 6 पुलिसकर्मी रिहा कर दिए गए 
11 लोगों को उमक़ैद की सज़ा 
CBI ने तीन अपराधियों को फ़ांसी देने की अपील की 
बचाव पक्ष ने उम्रकैद के ख़िलाफ़ अपील की 

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