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This Article is From Dec 13, 2020

केंद्र के कृषि कानूनों को समर्थन, किसानों के समूह ने मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ज्ञापन सौंपा

हरियाणा के किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने तीन नए कृषि कानून निरस्त किए जाने पर प्रर्दशन करने की धमकी दी

केंद्र के कृषि कानूनों को समर्थन, किसानों के समूह ने मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ज्ञापन सौंपा
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से हरियाणा के किसानों ने मुलाकात की.
नई दिल्ली:

दिल्ली में शनिवार को अनेक किसानों व किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें कृषि सुधारों के लिए धन्यवाद दिया और नए कृषि कानून (Farm Laws) निरस्त नहीं करने की मांग करते हुए ज्ञापन दिया. नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच हरियाणा (Haryana) से 29 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इन कानूनों के प्रति अपना समर्थन प्रकट करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. उन्होंने कानून निरस्त किए जाने की स्थिति में प्रदर्शन करने की धमकी भी दी.

भारतीय किसान यूनियन (मान) हरियाणा के प्रदेश नेता गुणी प्रकाश के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने संसद द्वारा सितंबर में पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों पर तोमर को एक ‘‘समर्थन पत्र'' सौंपा और उन्होंने सरकार से इन कानूनों को बरकरार रखने की मांग की.

प्रकाश ने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि (नए कृषि) कानूनों को निरस्त किया जाता है तो हम प्रदर्शन करेंगे. हमने सभी जिलों को एक ज्ञापन दिया है. '' उन्होंने यह जानना भी चाहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को 2014 तक लागू क्यों नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है. उनके पास भी है, इसलिए हम ऐसा करेंगे. हम तीनों कानूनों के समर्थन में हैं लेकिन इस प्रदर्शन का नेतृत्व वामपंथी और हिंसक लोग कर रहे हैं. '' उन्होंने दावा किया कि किसानों का जारी आंदोलन अब किसान आंदोलन नहीं रह गया है. उन्होंने कहा, ‘‘इसने राजनीतिक रंग धारण कर लिया है. किसानों को इन तीनों कानूनों के जरिए असली आजादी मिलेगी. ''

उल्लेखनीय है कि हरियाणा से किसानों का यह दूसरा समूह है जिसने तोमर से मुलाकात की और कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन प्रकट किया. पहला समूह मंत्री से सात दिसंबर को मिला था. प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र के बीच हुई छह दौर की वार्ता के दौरान गतिरोध को दूर करने के लिए अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. दरअसल प्रदर्शनकारी किसान नए कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि सरकार ने कानूनों में संशोधन करने का एक मसौदा प्रस्ताव उन्हें भेजा था.
(इनपुट भाषा से भी)

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