रामगोपाल यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव ने आज यूपी में पुलिस और प्रशासन के 28 बड़े पदों पर 1500 अफसरों की लिस्ट जारी कर बताया है कि उनमें सिर्फ 139 यादव हैं। ऐसे में राज्यपाल राम नाइक का यह बयान झूठा है कि सरकारी ओहदों पर वह एक जाति की भरमार से वह चिंतित हैं। राज्यपाल से नाराज़ रामगोपाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से मांग कर दी है कि वह राज्यपाल को अब चुनावों के लिए बीजेपी के सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।
इसी 22 जुलाई को राज्यपाल की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि यूपी में ज़्यादातर बड़े सरकारी ओहदों पर यादव क्यों हैं? राज्यपाल ने इसका सीधा जवाब देने के बजाय कहा। "नौकरियां ! यह बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। यह बात मैं सुनता रहता हूं, पढ़ता रहता हूं। सरकार से मैं इसकी और जानकारी करूंगा।"
लेकिन शायद मीडिया में हैडलाइन कुछ और बन गई, जिससे रामगोपाल खफा हो गए। उन्होंने 28 बड़े ओहदों पर यादव अफसरों की लिस्ट जारी की है, जिसके मुताबिक़ 53 प्रमुख सचिव में 1 यादव, 21 सचिव में 2 यादव, 68 विशेष सचिव में एक यादव, 28 एमडी में 2 यादव, 75 डीएम में 8 यादव, 25 सीडीओ में 6 यादव, 14 डीजीपी में 1 यादव, 75 एसएसपी /एसपी में 10 यादव, 608 एडिशनल एसपी में 84 यादव लेकिन 33 एडीजी, 8 आईजी जोन और 18 डीआईजी रेंज में कोई यादव नहीं है।
रामगोपाल की इस क़दर नाराज़गी की कुछ और भी वजहें हो सकती हैं। मिसाल के लिए एमएलसी के नॉमिनेशन के लिए सरकार के भेजे 9 नामों में से 5 नाम राज्यपाल दो बार लौटा चुके हैं। दो यूनिवर्सिटीज में सीएम को चांसलर बनाने को नामंज़ूर कर चुके हैं। सरकार के 21 बिल में से 7 रोक चुके हैं। राज्यपाल की अति सक्रियता को भी राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
पिछले एक साल में राज्यपाल 44000 लोगों के खत का जवाब दे चुके हैं, 6000 लोगों से मिल चुके हैं। पूरे यूपी में 358 कार्यक्रम कर चुके हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री वग़ैरह को 295 खत लिख चुके हैं और 368 प्रेसनोट जारी कर चुके हैं।
राज्यपाल से लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के लोगों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इसके पहले भी समाजवादी पार्टी के एक सम्मलेन में भी रामगोपाल उनके बारे में ऐसी टिप्पणी कर चुके हैं, लेकिन बिना इस बारे में पढ़े वह कुछ नहीं कहेंगे।
इसी 22 जुलाई को राज्यपाल की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि यूपी में ज़्यादातर बड़े सरकारी ओहदों पर यादव क्यों हैं? राज्यपाल ने इसका सीधा जवाब देने के बजाय कहा। "नौकरियां ! यह बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। यह बात मैं सुनता रहता हूं, पढ़ता रहता हूं। सरकार से मैं इसकी और जानकारी करूंगा।"
लेकिन शायद मीडिया में हैडलाइन कुछ और बन गई, जिससे रामगोपाल खफा हो गए। उन्होंने 28 बड़े ओहदों पर यादव अफसरों की लिस्ट जारी की है, जिसके मुताबिक़ 53 प्रमुख सचिव में 1 यादव, 21 सचिव में 2 यादव, 68 विशेष सचिव में एक यादव, 28 एमडी में 2 यादव, 75 डीएम में 8 यादव, 25 सीडीओ में 6 यादव, 14 डीजीपी में 1 यादव, 75 एसएसपी /एसपी में 10 यादव, 608 एडिशनल एसपी में 84 यादव लेकिन 33 एडीजी, 8 आईजी जोन और 18 डीआईजी रेंज में कोई यादव नहीं है।
रामगोपाल की इस क़दर नाराज़गी की कुछ और भी वजहें हो सकती हैं। मिसाल के लिए एमएलसी के नॉमिनेशन के लिए सरकार के भेजे 9 नामों में से 5 नाम राज्यपाल दो बार लौटा चुके हैं। दो यूनिवर्सिटीज में सीएम को चांसलर बनाने को नामंज़ूर कर चुके हैं। सरकार के 21 बिल में से 7 रोक चुके हैं। राज्यपाल की अति सक्रियता को भी राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
पिछले एक साल में राज्यपाल 44000 लोगों के खत का जवाब दे चुके हैं, 6000 लोगों से मिल चुके हैं। पूरे यूपी में 358 कार्यक्रम कर चुके हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री वग़ैरह को 295 खत लिख चुके हैं और 368 प्रेसनोट जारी कर चुके हैं।
राज्यपाल से लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया के लोगों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इसके पहले भी समाजवादी पार्टी के एक सम्मलेन में भी रामगोपाल उनके बारे में ऐसी टिप्पणी कर चुके हैं, लेकिन बिना इस बारे में पढ़े वह कुछ नहीं कहेंगे।
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