सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी या नहीं? शीर्ष नेतृत्व को लेकर अप्रैल में लिया जा सकता है फैसला

कांग्रेस पार्टी के लिए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का स्वास्थ्य चिंता का विषय है.

सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी या नहीं? शीर्ष नेतृत्व को लेकर अप्रैल में लिया जा सकता है फैसला

कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर फैसला अप्रैल महीने में लिया जा सकता है.

खास बातें

  • कांग्रेस अप्रैल महीने में अपने शीर्ष नेतृत्व को लेकर फैसला ले सकती है
  • सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष रहेंगी या नहीं इस पर हो सकता है फैसला
  • राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना निश्चित नहीं
नई दिल्ली:

कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर फैसला अप्रैल महीने में लिया जा सकता है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अध्यक्ष पद को संभाले रखती हैं या उनकी जगह किसी और को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा इसका फैसला अप्रैल के महीने में हो सकता है. यह जानकारी एनडीटीवी को सूत्रों से मिली है. कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर फैसला पार्टी के महाधिवेशन में लिया जाएगा जो कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह से पहले आयोजित किया जाएगा. फिलहाल यह साफ नहीं है कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभालेंगे या नहीं. राहुल के करीबियों के मुताबिक अध्यक्ष पद पर राहुल वापसी करेंगे कि नहीं अभी इसको लेकर राहुल ने कोई फैसला नहीं किया है. 

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कांग्रेस पार्टी के लिए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का स्वास्थ्य चिंता का विषय है. इसलिए पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है. दिल्ली चुनाव के बाद पार्टी को अध्यक्ष की जरूरत और भी ज्यादा महसूस होने लगी है. जिस कांग्रेस ने 15 सालों तक दिल्ली की सत्ता पर राज किया उसकी इस साल दिल्ली चुनाव नतीजों में 70 में से 63 सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई. 

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हट जाने के बाद से पार्टी में अस्थिरता और भी ज्यादा बढ़ गई हैं. राहुल के अध्यक्ष पद से हटने के बाद आखिर में कांग्रेस की वर्किंग कमेटी ने अपनी आखिरी उम्मीद सोनिया गांधी में ही देखी थी. दरअसल लंबे वक्त तक पार्टी की अध्यक्ष रही सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से अपनी सक्रियता कम कर दी थी. पार्टी के जोर देने पर ही सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पदभार संभाला था. 

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पार्टी के इतिहास की बात की जाए तो कांग्रेस नेहरु-गांधी परिवार के इर्दगिर्द ही रही है. हालांकि नब्बे के दशक में राजीव गांधी की हत्या के बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार के बाहर के लोगों को भी मिली थी लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी कुछ खास कर नहीं पाई थी. 

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