महाराष्ट्र के बाद केन्द्र में भी शिवसेना और भाजपा के रिश्तों के टूटने के कगार पर पहुंचते दिखने के बीच केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कुछ समस्याओं का समाधान स्वयं ही जाता है। शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद के पहले विस्तार समारोह में हिस्सा नहीं लिया था।
वित्तमंत्री ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालने के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान समस्या के समाधान की उम्मीद जताते हुए कहा, कुछ मसले अपना हल खुद खोज लेते हैं। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में और उसके बाद हुए केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में भी शिवसेना को फिलहाल शामिल नहीं किए जाने से दोनों दलों के बीच के रिश्तों को और धक्का लगा है। इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ समारोह में शिव सेना का कोई नेता उपस्थित नहीं हुआ।
शिवसेना के सांसद अनिल देसाई ने रविवार को केन्द्रीय मंत्री के रूप में शपथ नहीं ली। इसके लिए वह मुंबई से दिल्ली आए भी थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व के कहने पर शपथ लिए बिना हवाई अड्डे से ही वापस लौट गए।
पूर्व शिवसैनिक सुरेश प्रभु को शपथ समारोह से ऐन पहले भाजपा की सदस्यता दिला कर केन्द्रीय मंत्री बनाए जाने से शिव सेना की नाराजगी और बढ़ गई है।
शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा दोनों पर ‘वादाखिलाफी और निरंतर अपमान करने’ का आरोप लगाया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना की ओर से अभी एकमात्र मंत्री अनंत गीते हैं और अगर बिगड़ता घटनाक्रम यहीं नहीं थमा तो उद्धव ठाकरे उन्हें भी कैबिनेट से हटने को कह सकते हैं।
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