![अदालतें तय कर रही हैं समाज की दिशा, पढ़ें- वे 5 फैसले जो लाएंगे बड़ा बदलाव अदालतें तय कर रही हैं समाज की दिशा, पढ़ें- वे 5 फैसले जो लाएंगे बड़ा बदलाव](https://i.ndtvimg.com/i/2016-08/supreme-court-650-400_650x400_71470736832.jpg?downsize=773:435)
राजनीतिक दल समाज में बदलाव की वकालत तो खूब करते हैं लेकिन वास्तविकता तो यह है कि अदालत न होती तो आज भी समाज का एक बड़ा तबका कुरीतियों में जकड़ा रहता. तीन तलाक के मुद्दे पर भी देश में बहस 40 सालों से चल रही है. इस बार राजनीति भी खूब हुई. लेकिन इसका रास्ता भी कोर्ट से ही निकला. ऐसे ही कई मुद्दे रहे हैं जो समाज में बदलाव लेकर आए और इनके लिए रास्ता कोर्ट से ही निकला. इसी तरह गुरुवार को भी 9 जजों की पीठ ने निजता के अधिकार को लेकर एक अहम फैसला किया है.
1- निजता का अधिकार : एक बेहद अहम फैसले के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार, यानी राइट टु प्राइवसी को मौलिक अधिकारों, यानी फन्डामेंटल राइट्स का हिस्सा करार दिया है. नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्त जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है. राइट टू प्राइवेसी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आती है. अब लोगों की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी. हालांकि आधार को योजनाओं से जोड़ने पर सुनवाई आधार बेंच करेगी. इसमें 5 जज होंगे.
2- ट्रिपल तलाक : मुस्लिम महिलाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बड़ी राहत लेकर आया है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच जिसमें मुख्य न्यायाधीश सहित 5 जज शामिल थे, बहुमत के आधार पर एक झटके में ही ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया इसके साथ ही केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का आदेश भी दे दिया. मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी है जबकि मुस्लिम धर्मगुरु इसके पक्ष में खड़े थे.
3- महिलाओं को संपत्ति अधिकार :पढ़ें, तीन तलाक पर फैसला: अमित शाह बोले- मुस्लिम महिलाओं के लिए नए युग की शुरुआत4- हाजी अली दरगाह पर फैसला :वीडियो : मुकाम तक पहुंची लड़ाई5- मूर्ति विसर्जन पर फैसला :
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