केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह (फाइल फोटो)
नई दि्ल्ली:
देश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन किसानों की आत्महत्या की ख़बरें आती रहती है। महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका किसानों की आत्महत्या का पर्याय बन चुका है। इन आत्महत्याओं के पीछे कर्ज चुकाने में नाकामी या फसलों की बर्बादी, सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। हालांकि सरकारी आंकड़ों में आत्महत्या की वजहों में प्रेम प्रसंग जैसे कारण भी गिनाए जाते रहे हैं।
संसदीय रिकार्ड बताता है कि किसानों की आत्महत्या संबंधी बयानों में प्रेम प्रसंग और पारिवारिक कलह जैसी वजहें कई मंत्रियों ने गिनाई हैं। इनमें पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार भी शामिल हैं। पवार ने 26 फरवरी 2013 और 6 अगस्त 2013 को लोकसभा में और 16 अगस्त 2013 को राज्यसभा में दिए गए अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की तरफ से दिए गए कारणों को ही आधार बनाया था। इसी तरह कृषि राज्य मंत्री के तौर पर तारिक अनवर ने 21 फरवरी 2014 को राज्यसभा में और चरण दास महंत ने 30 मार्च 2012 को राज्यसभा में दिए गए अपने जवाब में एनसीआरबी की रिपोर्ट का ज़िक्र किया।
किसानों की आत्महत्या की वजह गिनाते हुए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि 'पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, नशे की आदत, बेरोजगारी, संपत्ति विवाद, दिवालियापन या आर्थिक स्थिति में अचानक परिवर्तन, ग़रीबी, व्यावसायिक/कैरियर संबंधी समस्या, प्रेम प्रसंग, बांझपन/नपुंसकता, शादी का रद्द होना या शादी न हो पाना, दहेज विवाद, सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट, अन्य कई अनजान कारण' शामिल हैं।
ज़ाहिर है कृषि मंत्रालय के पास आत्महत्याओं का ब्योरा इकठ्ठा करने का अपना कोई ज़रिया नहीं है। लिहाज़ा कृषि मंत्रालय हमेशा से एनसीआरबी का आंकड़ा ही पेश करता रहा है। जरूरत कृषि मंत्रालय की तरफ से ऐसी पहल की है जिससे किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े खुद जुटाए जाएं जिसमें कर्जदार किसानों से लेकर खराब फसल की वजह से तबाह हुए किसानों तक का ब्योरा हो।
पिछले दिनों कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के उस बयान पर बहुत विवाद हुआ जिसमें उन्होने किसानों की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक कलह जैसे कारण को जिम्मेदार बताया। इस बयान को बेहद असंवेदनशील माना गया, हालांकि राधामोहन सिंह ने इसे आधा-अधूरा और कांट छांट कर पेश किया गया बयान बताया।
उनका कहना है कि संसद में दिए गए अपने जवाब में उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की तरफ से गिनाई गई वजहों के आधार पर ही जवाब दिया है। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने इसी जवाब में किसानों पर कर्ज, खराब फ़सल को भी आत्महत्या का ज़िम्मेदार बताया था, लेकिन तूल सिर्फ पहले पैरा को दिया गया जबकि दूसरे पैरा को खबरों में प्राथमिकता नहीं दी गई। जाहिर है जब तक आत्महत्या से जुड़े आंकड़े के लिए एनसीआरबी पर निर्भरता रहेगी, मंत्री कोई भी हो, किसानों की आत्महत्याओं के कारण वही गिनाए जाते रहेंगे।
संसदीय रिकार्ड बताता है कि किसानों की आत्महत्या संबंधी बयानों में प्रेम प्रसंग और पारिवारिक कलह जैसी वजहें कई मंत्रियों ने गिनाई हैं। इनमें पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार भी शामिल हैं। पवार ने 26 फरवरी 2013 और 6 अगस्त 2013 को लोकसभा में और 16 अगस्त 2013 को राज्यसभा में दिए गए अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की तरफ से दिए गए कारणों को ही आधार बनाया था। इसी तरह कृषि राज्य मंत्री के तौर पर तारिक अनवर ने 21 फरवरी 2014 को राज्यसभा में और चरण दास महंत ने 30 मार्च 2012 को राज्यसभा में दिए गए अपने जवाब में एनसीआरबी की रिपोर्ट का ज़िक्र किया।
किसानों की आत्महत्या की वजह गिनाते हुए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि 'पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, नशे की आदत, बेरोजगारी, संपत्ति विवाद, दिवालियापन या आर्थिक स्थिति में अचानक परिवर्तन, ग़रीबी, व्यावसायिक/कैरियर संबंधी समस्या, प्रेम प्रसंग, बांझपन/नपुंसकता, शादी का रद्द होना या शादी न हो पाना, दहेज विवाद, सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट, अन्य कई अनजान कारण' शामिल हैं।
ज़ाहिर है कृषि मंत्रालय के पास आत्महत्याओं का ब्योरा इकठ्ठा करने का अपना कोई ज़रिया नहीं है। लिहाज़ा कृषि मंत्रालय हमेशा से एनसीआरबी का आंकड़ा ही पेश करता रहा है। जरूरत कृषि मंत्रालय की तरफ से ऐसी पहल की है जिससे किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े खुद जुटाए जाएं जिसमें कर्जदार किसानों से लेकर खराब फसल की वजह से तबाह हुए किसानों तक का ब्योरा हो।
पिछले दिनों कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के उस बयान पर बहुत विवाद हुआ जिसमें उन्होने किसानों की आत्महत्या के पीछे पारिवारिक कलह जैसे कारण को जिम्मेदार बताया। इस बयान को बेहद असंवेदनशील माना गया, हालांकि राधामोहन सिंह ने इसे आधा-अधूरा और कांट छांट कर पेश किया गया बयान बताया।
उनका कहना है कि संसद में दिए गए अपने जवाब में उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की तरफ से गिनाई गई वजहों के आधार पर ही जवाब दिया है। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने इसी जवाब में किसानों पर कर्ज, खराब फ़सल को भी आत्महत्या का ज़िम्मेदार बताया था, लेकिन तूल सिर्फ पहले पैरा को दिया गया जबकि दूसरे पैरा को खबरों में प्राथमिकता नहीं दी गई। जाहिर है जब तक आत्महत्या से जुड़े आंकड़े के लिए एनसीआरबी पर निर्भरता रहेगी, मंत्री कोई भी हो, किसानों की आत्महत्याओं के कारण वही गिनाए जाते रहेंगे।