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This Article is From Feb 18, 2020

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलने पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा, तो स्मृति ईरानी बोलीं- 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना'

भारतीय सेना में महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है.

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलने पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा, तो स्मृति ईरानी बोलीं- 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना'
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन का मामला
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर कसा तंज
'आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने'
नई दिल्ली:

भारतीय सेना में महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ( Justice DY Chandrachud) और जस्टिस अजय रस्तोगी (Justice Ajay Rastogi) की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया. महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि केंद्र अपने दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. अदालत के फैसले के अनुसार, सेना में अब महिलाओं को भी स्थायी कमीशन मिलेगा. कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र सरकार को घेरते हुए एक ट्वीट किया. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राहुल पर तंज कसते हुए लिखा, 'आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने.'

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क देकर हर भारतीय महिला का अपमान किया है कि सेना में महिला अधिकारी कमांड पोस्ट या स्थायी सेवा के लायक नहीं हैं क्योंकि वह पुरुषों से निम्न हैं.'

जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा, 'आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने, यह पीएम नरेंद्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग की घोषणा की थी, जिससे लैंगिक न्याय सुनिश्चित हुआ और भाजपा महिला मोर्चा ने इस मुद्दे को उठाया था जब आपकी सरकार थी.'

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बताते चलें कि सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाएं अब सेना में पूर्णकालिक रूप से कर्नल या उससे ऊपर रैंक पर पदस्थ हो सकती हैं. युद्ध अथवा दुश्मनों से मुकाबला करने वाली भूमिकाओं में महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए वह अभी भी पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद कोर में शामिल नहीं हो सकती हैं. एक महिला कर्नल अब 850 पुरुषों की एक बटालियन की कमान संभाल सकती है. महिलाएं योग्यता के आधार पर ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और सैद्धांतिक रूप से सेना प्रमुख के पद तक बढ़ सकती हैं, लेकिन यह कई लड़ाकू संरचनाओं की अगुवाई करने के अनुभव के बिना लगभग असंभव होगा, जिसे काफी समय से अस्वीकार किया जा रहा है.

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