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This Article is From Sep 03, 2019

Exclusive: ऐसे बनेगा सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत, एनडीटीवी के पास है खास जानकारी

एक बार इस्तेमाल कर फेंके जाने वाले यानी सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम कसने की सरकार के स्तर पर युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है. हर मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. रेलवे मंत्रालय ने दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है.

Exclusive: ऐसे बनेगा सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत, एनडीटीवी के पास है खास जानकारी
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

एक बार इस्तेमाल कर फेंके जाने वाले यानी सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाम कसने की सरकार के स्तर पर युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है. हर मंत्रालय को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. रेलवे मंत्रालय ने दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है. वहीं भूतल परिवहन मंत्रालय 11 सितंबर से देश भर के राजमार्गों के आसपास जमा प्लास्टिक को इकट्ठा करने का अभियान शुरू कर देगा. सभी मंत्रालयों में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगेगी. इस कचरे का इस्तेमाल सीमेंट के भट्ठों और सड़कों को बनाने में किया जाएगा. इसके उत्पादन को हतोत्साहित करने के लिए नीति पर काम होगा. दो अक्टूबर को पूरे देश में स्वच्छता और श्रमदान अभियान चलाया जाएगा.

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28 अगस्त को मंत्रिपरिषद की बैठक में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर एक विस्तृत पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया गया जिसकी कॉपी एनडीटीवी के पास है. इसमें हर मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है. साथ ही मंत्रियों, सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी काम दिया गया है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने की अपील की थी. दिलचस्प बात है कि पीएम की अपील के बाद से गूगल पर सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में सर्च में 450 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यानी लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं.

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तो अपने कार्यालय में प्‍लास्टिक की बोतलों का इस्‍तेमाल बंद भी कर दिया है.

मंत्रिपरिषद को दिए गए प्रेजेंटेशन में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभी तक उठाए गए कदमों की समीक्षा भी की गई है. इसमें नोडल मंत्रालयों के साथ प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और कैबिनेट सचिव ने अभी तक की तैयारियों की समीक्षा की है. उद्योग जगत तथा विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया जा चुका है. स्वच्छता ही सेवा अभियान के छह लाख स्वच्छाग्रहियों के नेटवर्क को सक्रिय कर दिया गया है. स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत सरपंचों और स्वच्छाग्रहियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच लाख व्यक्तिगत पत्र भेज रहे हैं. राज्यों के साथ समन्वय किया जा रहा है और इसके लिए विस्तृत पत्र भेजे जा रहे हैं.

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महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्तूबर से चलाए जाने वाले इस अभियान के लिए नोडल मंत्रालयों की पहचान कर ली गई है. ये मंत्रालय हैं- पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन, आवासन और शहरी कार्य, सड़क यातायात और राजमार्ग, औद्योगिक नीति और प्रमोशन विभाग, वस्त्र मंत्रालय, ग्रामीण विकास और पंचायती राज, रेलवे और पर्यटन मंत्रालय. हर मंत्रालय को अलग-अलग काम सौंपा गया है-

पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय को सबसे महत्वपूर्ण काम दिया गया है. उसे यह सुनिश्चित करना है कि देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी लगाई जाए. साथ ही, हिमालय क्षेत्र तथा पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील अन्य क्षेत्रों में सिंगल यूज प्लास्टिक न घुस पाए, यह भी तय हो. उत्पादन करने वाले की जिम्मेदारी तय करने के लिए लंबित नीति को अंतिम रूप दिया जाए.

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आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को बताया गया है कि भारत में निकलने वाले प्लास्टिक कूड़े में सत्तर प्रतिशत शहरी इलाकों से आता है. सभी 4378 शहरी स्थानीय निकायों में व्यापक जनजागरण अभियान चलाने को कहा गया है. दो अक्टूबर को देश भर के शहरी स्थानीय निकायों में बड़े पैमाने पर श्रमदान अभियान आयोजित किया जाए. सभी शहरी इलाकों में प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करने अथवा न कर सकने के आधार पर छांटा जाए.

सड़क यातायात और राजमार्ग को बताया गया है कि प्लास्टिक कचरे से तैयार सड़कें न सिर्फ बेहद प्रतिकूल मौसम में कारगर हैं बल्कि सस्ती भी होती हैं और इनमें गड्डे भी कम पड़ते हैं. मंत्रालय से कहा गया है कि राजमार्गों के आसपास पड़े प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा किया जाए. यह अभियान 11 सितंबर से चालू हो जाएगा. एनएचएआई से कहा गया है कि वह प्लास्टिक कचरे को कंस्ट्रक्शन साइट पर ले जाए और इसका इस्तेमाल सड़क बनाने में हो.

औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग को बताया गया है कि प्लास्टिक, ईंधन के तौर पर ग्रेड कोयले से अधिक कारगर है. सभी सीमेंट निर्माता ईंधन के तौर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल करें. राज्यों के भीतर इकट्ठा प्लास्टिक सीमेंट भट्ठों तक जाए. प्लास्टिक कचरे की रिसाइक्लिंग के नए तरीकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित कराई जाए.

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वस्त्र मंत्रालय को बताया गया है कि भारत दुनिया भर में जूट उत्पादन के क्षेत्र में नंबर एक देश है. देश में जूट के थैलों की बढ़ती मांग के मद्देनजर उत्पादन बढ़ाया जाए. जूट और कपड़े के थैलों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए देश भर में अभियान चलाया जाए. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के जरिए कपड़े की थैलियां सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाएं.

ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय को बताया गया है कि नागपुर के वाइनी गांव में प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल कर रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मंत्रालय से कहा गया है कि वह ग्राम प्रधानों के माध्यम से प्लास्टिक कचरे को छांटने और उसे भेजना सुनिश्चित करे. सभी ग्राम सभाओं में प्लास्टिक मुक्त होने का संकल्प लिया जाए. साथ ही प्लास्टिक का इस्तेमाल प्रधानमंत्री ग्रामीम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों में किया जाए.

रेलवे मंत्रालय ने कहा है कि वह दो अक्तूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी लगाएगा. सभी रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर दो अक्तूबर को प्लास्टिक कचरे को बीनने के लिए बहुत ब़ड़े पैमाने पर श्रमदान अभियान चलेगा. रेलवे स्टेशनों के बीच प्लास्टिक मुक्त होने की प्रतियोगिता होगी. ट्रेनों में स्वच्छता ही सेवा और प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत के संदेश सुनाए जाएंगे.

पर्यटन मंत्रालय से कहा गया है कि तिरुपति में प्लास्टिक पाबंदी के नियमों का उल्लंघन करने पर पच्चीस हजार रुपए तक का जुर्माना है. सभी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों, समुद्र तटों और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर प्लास्टिक कचरे को बीनने का अभियान चलाया जाए. ऐसे सभी स्थानों पर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी जाए. पर्यटन स्थलों पर प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए.

एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू करेगी सरकार

इसके साथ ही मंत्रियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है. उनसे कहा गया है कि वे अपने मंत्रालयों की गतिविधियों में तथा भवनों में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दें. इस अभियान के दौरान मंत्रालय के कर्मचारियों के साथ श्रमदान में हिस्सा लें. दो अक्टूबर को श्रमदान में हिस्सा लेने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र या फिर राज्यों की राजधानियों में जाएं. अपने श्रमदान के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करें. सिंगल प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए सोशल मीडिया पर भी बड़ा अभियान चलाने की तैयारी है. सभी मंत्रियों से कहा गया है कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के साथ अपना फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करें. साथ ही, श्रमदान की कहानी भी बताएं. प्लास्टिक मुक्त भारत का संकल्प लें. साथ ही प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत के लिए अपने कार्यों को बताते हुए सोशल मीडिया पर एक मिनट का वीडियो भी जारी करें.

सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों से कहा गया है कि वे क्षेत्रों में श्रमदान करें. स्थानीय स्वच्छाग्रहियों को सम्मानित करें. सफाई अभियान में स्थानीय महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग लें.

Video: एक बार के इस्तेमाल वाली प्लास्टिक पर 2 अक्टूबर से लगेगी पाबंदी

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